धुंए के कारण खराब हो रही शहर की आबोहवा
मुख्यालय पर कचरा डंपिग के चलते जहां शहरी क्षेत्र में कई सालों तक घातक धुंआ मंडराता रहा, वहीं कचरे की दुर्गंध ने आसपास के आबादी क्षेत्र को अपनी जकड़ में कस रखा था। हालांकि, प्रशासन की गंभीरता से नया डंपिग ग्राउंड का रास्ता साफ हो चुका है। इसके बाद जल्द ही इस समस्या का समाधान तय माना जा रहा है। किंतु इन सबके बीच शहर में कंडम वाहनों के अलावा बगैर पीयूसी प्रमाण के गाड़ियां भर्राटे भर रही हैं, जो पर्यावरण पर बुरा असर डालने के समान है।
अनोखा तीर, हरदा। जिला मुख्यालय समेत अन्य स्थानों पर संचालित पेट्रोल पंपों पर पर्यावरण सरंक्षण के हितार्थ लागू नियमों का पालन नही हो रहा है। जिसका पर्यावरण पर बुरा असर देखने को मिल रहा है। दरअसल, मुख्यालय की विभिन्न सड़कों पर ऐसे वाहनों की भरमार है, जिनके पास पीयूसी प्रमाण नही है। बावजूद दो एवं चारपहिया वाहन इधर से उधर हो रहे हैं। खास बात यह है कि इन सबके बीच कंडम वाहन भी दिखाई देंगे, जो सड़कों पर धुंआ फैलाते हुए गुजरते हैं। इनमें लोडिंग वाहनों के साथ ही ऑटो रिक्शॉ भी शामिल हैं। जो बुरी तरह जर्जर तथा अस्वस्थ नजर आएंगे। वहीं, इन सबको लेकर प्रशासन ने अब तक अपनी आंखे नही तरेरी है। फलस्वरूप लापरवाह चालकों की मनमानी जारी है। जिस पर अंकुश लगाने वाले दूर-दूर तक दिखाई नही दे रहे हैं। यहां बताना होगा कि करीब चार साल पहले तत्कालीन कलेक्टर इस मुद्दे पर गंभीर दिखे। उन्होंनें जिला परिवहन एवं यातायात विभाग समेत समस्त पंप संचालकों की बैठक आहूत कर पीयूसी मशीन की अनिवार्यता तथा वाहनों की जांच उपरांत उन्हें प्रमाण-पत्र देने के लिए पाबंद किया था। इसके बाद करीब आधा दर्जन पंपों पर निर्देशों का पालन दिखा। लेकिन, शेष पंपों पर पीयूसी मशीनें अब तक नही लगी हैं। वहीं जिन पंपों पर मशीन है, वहां वे शोपीस की भूमिका में हैं। जिसके चलते जहां सरकार की मंशा अधूरी की अधूरी है, वहीं जिम्मेदार अधिकारी भी इसे अनदेखा कर रहे हैं।
ट्रेंड कर्मचारी का अभाव
इस दौरान यह भी देखने को मिला कि पंपों पर मशीन को संचालित करने के लिए ट्रेंड कर्मचारी नही है। अगर ट्रेंड कर्मचारी नियुक्त होते तो लक्ष्य को प्राप्त करने में सरलता रहती है। खैर, फिलहाल इन सबके अभाव में अधिकांश लोग इसकी आवश्यकता से अनभिज्ञ हैं।
जन जागरूकता बेहद जरूरी
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाए गए इस कदम को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है। ताकि लोग इसके प्रति जागरूक हो सकें। इसकी महत्वता को समझ सकें। वहीं आगे आकर नियमों का का पालन करें। तब कहीं पर्यावरण सुधार की उम्मीद जताई जा कसती है।
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