राष्ट्रीयव्यापार

हम समुद्री और जमीनी मार्ग के जरिए यूरोप, मध्य एशिया तक पहुंचने पर विचार कर रहे हैं, जिससे लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी – निर्मला सीतारमण

मुम्बई- केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश की जहाज-निर्माण क्षमता को बढ़ावा देने के लिए वित्तपोषण, बीमा, मध्यस्थता और विविध विकल्पों के निर्माण की आवश्यकता है। वित्त मंत्री कल मुम्बई में वैश्विक समुद्री भारत शिखर सम्मेलन’समुद्री वित्तपोषण, बीमा और मध्यस्थता’ विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित कर रही थीं। भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारे के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘हम समुद्री और जमीनी मार्ग के जरिए यूरोप, मध्य एशिया तक पहुंचने पर विचार कर रहे हैं, जिससे लॉजिस्टिक लागत में कमी आएगी।‘

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएमआईएस 2023 महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह ऐसे समय में आयोजित किया जा रहा है जब वैश्विक स्तर पर आपूर्ति की सुरक्षा, आपूर्ति में व्यवधान, मूल्य श्रृंखला आदि में विभिन्‍न चुनौतियां मौजूद हैं। प्रमुख वस्तुओं के शिपमेंट कभी-कभी जोखिम से भरे होते हैं और इसके कारण खाद्य असुरक्षा और ऊर्जा असुरक्षा चुनौती के रूप में सामने आती हैं, जिससे मुद्रास्फीति में वृद्धि होती है। उन्होंने कहा कि जो अर्थव्यवस्थाएं कोविड से बाहर आ रही हैं, वे इस चुनौती का सामना कर रही हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि समुद्री व्यापार का समर्थन करने के लिए कोविड के बाद जनरल इंश्योरेंस कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के साथ आईआरडीएआई और घरेलू बीमा कंपनियों के समर्थन से एक “मरीन कार्गो पूल” बनाया गया था। वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने समुद्री पुनर्बीमा के साथ भारत की नीली अर्थव्यवस्था सेवाओं में विकास के अवसरों का समर्थन करने के लिए पुनर्बीमा क्षेत्र में संशोधनों की एक श्रृंखला को मंजूरी दे दी है, और प्राधिकरण भारत में अपने परिचालन स्थापित करने के लिए अधिक संख्या में पुनर्बीमाकर्ताओं को लाने में सफल रहा है।

मध्यस्थता के बारे में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि भारत ने एक मध्यस्थता विधेयक पारित किया है, एक मध्यस्थता केंद्र की स्‍थापना की है और मध्यस्थता में अपनी ताकत में सुधार कर रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि एक पूर्ण भारतीय स्वामित्व वाली और भारत-आधारित संरक्षण और क्षतिपूर्ति इकाई की आवश्यकता महसूस की गई है ताकि: 1) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबंधों और दबावों के प्रति भारत की कमजोरी को कम किया जा सके और जहाजों के संचालन में अधिक रणनीतिक विकल्‍प प्रदान किया जा सके, 2) तटीय जल के साथ-साथ अंतर्देशीय जल में परिचालन करने वाले जहाजों को उनके संचालन के दौरान देनदारियों की सुरक्षा प्रदान की जा सके, 3) भारत को संरक्षण और क्षतिपूर्ति व्यवसाय के विशेष क्षेत्र में मजबूती मिल सके, जिसपर वर्तमान में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कम देशों का प्रभुत्‍व है तथा भारत की कोई उपस्थिति नहीं है और 4) भारतीय संरक्षण और क्षतिपूर्ति (पीएंडआई) सेवाएं भारत में समुद्री मध्यस्थता को प्रोत्साहित करने और बढ़ाने में भी मदद कर सकती हैं।

वित्त मंत्री ने कहा कि सामंजस्‍यपूर्ण मास्‍टर सूची पर फिर से विचार करने और सभी वित्तपोषण/नियामक संस्थानों के बीच अवसंरचना की समझ को सुव्यवस्थित करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का भी गठन किया गया है। इस समिति द्वारा विकसित की जा रही रूपरेखा, एचएमएल को समय-समय पर प्रासंगिक क्षेत्रों को अवसंरचना के रूप में वर्गीकरण को अद्यतन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष में शुरू की गई राष्ट्रीय मुद्रीकरण पाइपलाइन के तहत मुद्रीकरण के लिए 9 प्रमुख बंदरगाहों में 31 परियोजनाओं की पहचान की गई है, जिनका अनुमानित पूंजीगत व्यय वित्त वर्ष लिए 14,483 करोड़ रुपये है।

वित्त मंत्री ने ‘सरोद-पोर्ट्स’ की स्थापना के बारे में भी जानकारी दी, जो एक वैकल्पिक विवाद समाधान व्‍यवस्‍था प्रदान करती है।

वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भारत, अंतर्राष्ट्रीय शिपमेंट श्रेणी की वैश्विक रैंकिंग में 44वें स्थान से बढ़कर 2023 में 22वें स्थान पर पहुंच गया है। उन्होंने उल्लेख किया कि विश्व बैंक की लॉजिस्टिक्स प्रदर्शन सूचकांक रिपोर्ट 2023 के अनुसार, भारतीय बंदरगाहों का “टर्न अराउंड टाइम” अब 0.9 दिन है, जो सिंगापुर (1 दिन), संयुक्त अरब अमीरात (1.1 दिन), जर्मनी (1.3 दिन), अमेरिका (1.5 दिन), ऑस्ट्रेलिया (1.7 दिन), रूस (1.8 दिन) और दक्षिण अफ्रीका (2.8 दिन) जैसे देशों से कम है।

वित्त मंत्री ने गिफ्ट सिटी में स्थित आईएफएससीए के बारे में भी बात की, जिसने ‘शिप लीज’ को एक वित्तीय उत्पाद के रूप में अधिसूचित किया है और ‘जहाज को पट्टे पर देने के लिए रूपरेखा’ के माध्यम से जहाज वित्त और परिचालन पट्टों को सक्षम करने के लिए एक रूपरेखा प्रदान की है। आईएफएससी में जहाज पट्टे पर देने वाली संस्थाओं के लिए विभिन्न कर प्रोत्साहन और छूट की पेशकश की गई है, जिसमें 10 साल के लिए कर अवकाश, टैक्‍स होल्डिंग के दौरान कोई पूंजीगत लाभ नहीं, पांच साल के लिए स्टाम्प ड्यूटी में छूट आदि शामिल हैं। विदेशी संस्थाओं को जहाज के पट्टे के कारण रॉयल्टी या ब्याज के रूप में उत्पन्न आय पर अतिरिक्त छूट दी गई है और 100 प्रतिशत कर छूट का लाभ प्राप्त आईएफएससी इकाई द्वारा जहाज के हस्तांतरण से प्राप्‍त पूंजीगत लाभ पर कोई टैक्‍स नहीं है। वित्त मंत्री ने बताया कि भारत सरकार ने केंद्रीय बजट गिफ्ट सिटी में एक अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता केंद्र की स्थापना का प्रावधान किया था, ताकि विवाद समाधान प्रक्रिया को तेज किया जा सके।

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