बुआई की कवायद… खेतों में पलेवा प्रारंभ! जल्द लहलहाएंगी फसलें  

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अनोखा तीर, हरदा। क्षेत्र में रबी सीजन का आगाज होने के साथ ही खेतों में पलेवा कार्य ने रफ्तार पकड़ ली है। फिलहाल चना की बुआई वाला रकबा पानी से तरबतर किया जा रहा है। यह क्रम करीब एक सप्ताह तक चलेगा। वहीं अकटूबर के अंतिम सप्ताह में गेहूॅ उत्पादक किसान भी पलेवा को हरी झंडी दिखाएंगे। इस लिहाज से नवम्बर शुरू होते ही जहां खेतों में फसलें लहलहाती दिखेंगी, वहीं पूरा क्षेत्र हरियाली की चादर ओढ़े नजर आएगा। क्षेत्र के जागरूक किसान राजेश शर्मा एवं शैलेन्द्र यादव ने बताया कि इस साल फिर चने का रकबा ऊंचाई पर रहने के आसार हैं। किसानों की तैयारियों से इसका अंदाजा लगा है। वहीं उन्होंनें बुआई की कवायद भी प्रारंभ कर दी है। इधर, अधिकारिक जानकारी के अनुसार इस साल 50 हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में चना की बुआई का अनुमान है। जबकि गेहूॅ भी अपेक्षाकृत सवा लाख हेक्टेयर से अधिक रकबे में बोए जाने की तैयारी है। इन सबके बीच मुख्य बात यह कि चना और गेहूॅ की सर्वाधिक पैदावर देने वाली किस्मों पर क्षेत्र के किसानों की नजर है। चना-गेहूॅ की नर्द-नई वेरायटियों के अलावा पुरानी भरोसेमंद किस्मों की भी डिमांड तेज है। यहां बताना होगा कि रबी सीजन में चना फसल के प्रति किसानों की लगन साल दर साल बढ़ रही है। हालांकि छोटे यानि लघु सीमांत किसान हर साल चना चना पर दांव नही लगा सकते हैं। क्योंकि, उन्हें फसल चक्र बदलना रहता है। जबकि बड़े किसान रकबे बदल-बदलकर चना की बुआई करते हैं। इसके दो फायदे भी हैं। पहला गेहूॅ की तुलना चने में काफी कम सिंचाई तथा इन दोनों फसलों के भाव में बड़ा फर्क है। प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल गेहूॅ का भाव जहां 22 रूपये के आसपास रहेगा, वहीं चने का भाव 5 हजार रूपये के पार है।

 

डॉलर और काटू की डिमांड

चना बुआई के इच्छुक किसान इस बार डॉलर और काटू पर दांव लगाने के मूड में हैं। हालांकि इन दोनों किस्म की बीज करीब 15 हजार रूपये क्विंटल बिक रहा है। इस गणित से किसानों का ये दांव थोड़ा महंगा है। परंतु उनके उत्साह के आगे यह सबकुछ फीका दिख रहा है। किसानों की मानें तो ज्यादातर किसान लाल चना ही बोएंगे।

 

नहर आने से पहले डबल जुताई  

उधर, तवा डेम से नहरों में भी पानी छोड़े जाने का समय नजदीक आ चला है। इसी क्रम में नहरों से सिंचित रकबों की गहरी जुताई का सिलसिला जारी है। किसानों के मुताबिक नहर में पानी छोड़े जाने की खबर के बीच दिनरात खेतों में ट्रैक्टर दौड़ रहे हैं। उन्होंनें यह भी बताया कि कई ग्रामों ने दूसरी जुताई का कार्य अंतिम चरण में है।

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