भूसे-चारे की व्यवस्था न होने से भूख प्यास से तड़पता रहा गौवंश
भैरूंदा। बीते एक पखवाड़े पूर्व वायरल वीडियो के बाद हजारों की तादात में ग्रामीणों ने गौवंश की रक्षा के लिए देलावाड़ी जंगल में मवेशियों को छोड़ दिया गया। लेकिन वहां पर कोई इंतजाम न होने से दूसरे ही दिन मवेशियां सडक़ो पर आ गई। एक पखवाड़े से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन गौवंश की सुरक्षा को लेकर कोई भी पुख्ता इंतजाम न होने से आज भी गौवंश दर-दर की ठोकर खा रही है। इतना ही नहीं बहुत सी मवेशियां लगातार चलने व भोजन न मिलने से दम भी तोड़ चुकी है। रविवार को सीएम के आगमन से पूर्व प्रशासन ने सडक़ो पर विचरण कर रहे मवेशियों को इटावा इटारसी व गोपालपुर पॉवरहाऊस में बंद कर उन्हें नजर बंद कर दिया। लेकिन यहां पर मवेशियों के लिए खाने-पीने का इंतजाम न होने के कारण पूरे दिन मवेशियां तड़पती रही।
गौ रक्षक व प्रशासन में होती रही नोकझोक
गौ माता की दुर्दशा मुख्यमंत्री को बताने के लिए गौ सेवको ने बड़ी संख्या में मवेशियों को गोपालपुर लेकर जा रहे थे। इसी बीच प्रशासन को भनक लगते ही उन्होंने गौ सेवको को रास्ते में रोक दिया। जिससे गौ सेवक भडक़ गए और उनका कहना था कि आज हम गौ माता की दुदर्शा को लेकर मुख्यमंत्री को अवगत करायेंगे। लेकिन प्रशासन ने गौ सेवको की एक ना मानी और आश्वासन दिया कि एक दो दिन में गौ माता का स्थायी हल निकाला जायेगा। अभी तो पॉवर हाऊस को अस्थायी गौ शाला बनाकर प्रशासन ने सभी गायों को वहां शिफ्ट कर दिया। लेकिन खाने-पीने की कोई व्यवस्था ना करने से गौ वंश पूरे दिन भूख प्यास से तड़पता देखा गया।
कांगे्रस सरकार में स्वीकृत 13 में से 3 गौशला का ही निर्माण
सत्ता में काबिज होने के कारण कमलनाथ सरकार ने चुनावी वादे को निभाते हुए जनपद क्षेत्र के तहत 13 गौ शाला स्वीकृत की थी। इनमें से 3 गौ शालाओं का निर्माण पूरा हो चुका हैं और उनमें गौवंश भी रखा गया है। शेष 6 गौ शाला का निर्माण चार वर्ष के बाद भी प्रगतिरत बताया जा रहा है। वहीं शेष 4 गौ शाला का निर्माण स्थानाभाव के चलतें नहीं हुआ और उसका आवंटन भी निरस्त हो गया। यदि यह गौ शाला समय पर बन जाती तो आज गौ वंश को दर-दर नहीं भटकना पड़ता।
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