अनोखा तीर हरदा। सावन माह के दूसरे सोमवार पर त्रिसंयोग के साथ नगर के सभी शिवालयों में भगवान शिव शंकर की पूजा-अर्चना और अभिषेक कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस दिन एक साथ 3 अनूठे संयोग रहे, इसलिए यह शिव और पितरों को प्रसन्न करने का खास दिन रहा। इस दिन सावन माह का दूसरा सोमवार, सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या भी एक साथ होने से भक्तों में शिव आराधना के प्रति विशेष उत्साह बना हुआ था। यह शुभ अवसर कई वर्षो बाद आया है।
त्रिसंंयोगों पर हुई विशेष आराधना
ज्योतिषियों के मतानुसार 17 जुलाई को हरियाली अमावस्या, श्रावण मास का दूसरा सोमवार होने से सोमवती अमावस्या भी मनाई गई। ज्ञात हो कि अमावस्या जब भी सोमवार, मंगलवार या शनिवार को होती है तो इन दिनों के साथ मिलकर इसका दुर्लभ फल माना जाता है। अमावस्या दौरान किए जाने वाले अनुष्ठानों से मिलने वाला फल कई गुना बढ़ जाता है। वहीं सोमवती अमावस्या पर किए गए कार्य वंशवृद्धि के सूचक बनते हैं। इसे देखते हुए नगर के ऐतिहासिक गुप्तेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का आकर्षक श्रृंगार हरियाली से किया गया। शहर से हजारों भक्त नर्मदा में स्नान के लिए रवाना हुए। इस दिन विभिन्न संगठनों द्वारा जगह-जगह पौधारोपण किया गया। शिवालयों और सभी मंदिरों में इस अमावस्या पर पौधे रोपने का दुर्लभ संयोग के तहत सुबह से अपना महत्व है। सावन के दूसरे सोमवार को दूसरा अभिषेक अनुष्ठान किया गया। सावन सोमवार का व्रत होने से भी इस अमावस्या पर शिव पूजन का विशेष महत्व रहा। इस दिन भगवान शिव की पूजा का समय होने पर वह अमावस्या विशेष फलदायी मानी गई। दान पुण्य एवं शिव पूजन व्यक्ति को हर प्रकार के क्लेशों से युक्त कर देने वाला माना गया।
अमावस्या पर बना पुनर्वसु नक्षत्र का योग
सोमवार के दिन चंद्रमा का पुनर्वसु नक्षत्र में गोचर होने से विशेष फलदायी था। चंद्रमा मिथुन राशि में संचरण करते हुए पुनर्वसु नक्षत्र में होन से कुंडली में मौजूद चंद्र दोष की शांति होगी तथा चंद्रमा के शुभ फलों को प्राप्त किया। चंद्रमा के पूजन द्वारा पितरों को भी शांतिदायी होने से लोगों ने विशेष पूजा अर्चना कराई।
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