वनों की रक्षा करने में एसडीओ से लेकर फॉरेस्ट गार्ड सक्षम नहीं : न्यायमूर्ति चौहान

 

गणेश पांडे, भोपाल। बहुचर्चित लटेरी गोलीकांड की जांच कर रहे एक सदस्य जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वीपीएस चौहान वन बल प्रमुख को पत्र लिखकर साफ तौर पर कहा है कि जांच के दौरान यह तथ्य सामने आया है कि वन विभाग में पदस्थ एसडीओ से लेकर फॉरेस्ट गार्ड तक वनों की रक्षा करने के लिए पूर्णता सक्षम नहीं है। क्योंकि वन अपराधी संगठित होकर अपराध करते हैं। जांच आयोग के अध्यक्ष ने पत्र में यह भी लिखा है कि वन अपराध में वनकर्मियों को पुलिस का सहयोग का नहीं मिलता है। वनों की रक्षा और संगठित अपराधी गिरोह का सामना करने के लिए आयोग ने सेवानिवृत्त वन कर्मियों से सुझाव मांगे हैं। लटेरी गोलीकांड जांच आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति चौहान ने वन बल प्रमुख को पत्र में लिखा है कि वन अपराधी संगठित होकर अधिक अपराध करते हैं, जिनका सामना करने के लिए उन्हें अन्य अधिकारी कर्मचारियों की आवश्यकता होती है, जो समय पर उपस्थित नहीं हो पाते हैं। आयोग ने यह भी महसूस किया है कि वनों की रक्षा के लिए वन कर्मियों को दी गई शक्तियां भी सीमित है। इन सब समस्याओं के उपरांत मुख्य समस्या यह बताई गई है कि अपराधी को पकड़ते समय कोई भारतीय दंड विधान का अपराध घटित होता है तो उसकी शिकायत पुलिस विभाग में करने पर उतना सहयोग वन विभाग को नहीं मिलता, जितना अपराधियों को मिलता है।

तटस्थ सुझाव रिटायर्ड कर्मचारी ही दें

आयोग का कहना है कि ऐसे में वन अपराधियों से निपटने में तटस्थ व सही सुझाव रिटायर्ड वनकर्मी दे सकते हैं और इन रिटायर्ड वनकर्मियों की पूरी जानकारी होती है कि उनके क्षेत्र में कौन-कौन रहता है। आयोग ने वन बल प्रमुख को कहा है कि ऐसे रिटायर्ड कर्मचारियों से सुझाव लेने के लिए मुख्य वन संरक्षक और डीएफओ को पत्र लिखकर जांच आयोग के सामने पेश किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि विदिशा जिले में लटेरी के गोली कांड में पिछले साल नौ अगस्त को लकड़ी चोरों की आशंका में वनकर्मियों ने गोली चला दी थी जिसमें एक अपराधी की मौत हो गई थी और तीन लोग घायल हो गए थे। इस घटना की न्यायाधीश वीपीएस चौहान का जांच आयोग बनाया गया था। आयोग ने अभी तक कई वनकर्मियों और अन्य पक्षों के लोगों के बयान लिए हैं। इसमें आयोग के सामने वन अपराधियों से निपटने में वनकर्मियों के सक्षम होने के तथ्य भी सामने आए तो जांच आयोग ने वन विभाग को निर्देश कि सभी मुख्य वन संरक्षकों को पत्र लिखा जाएगा।

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