सीखगा तो कमायगा, फोकट की कब तक खाएगा

 

गांव की चौपाल पर खेती-बाड़ी के कामकाज से फुर्सत होकर कुछ ग्रामीणजन बैठे थे। एक-एक कर और भी लोगों के आने का सिलसिला जारी था। कोई अपने क्षेत्र में कम बारिश होने की बात कर रहा था तो कोई कह रहा था फसल तो जम गई, चास भी पकड ली बस अब पानी बाबो आ जाय तो मजा आ जाय। तभी एक अधेड़ उम्र व्यक्ति ने आते हुए कहा कि भैया जिनने पाप करयो उनका पाया म पानी नी आय। हमारा पाया म तो रात क ही अच्छो गिर गयो। लेव भैया यो रामरतन ही पूरा गांव म धर्मात्मा है, अपन सब तो पापी ह। यह कहते हुए सबने जोर के ठहाके लगाए। तभी एक बुजुर्ग ने कहा- बरसेगो तो किस्मत नी तो हमारो शिवराज मामो ह तो सरी। हां यार राधेश्याम बापड़ो शिवराज तो सबका लिये करे रे। यार अपन न इत्ती उम्र निकाल दी केरे पेलम सरकार कब कोई क फसल खराब होना पर पैसा देती थी। फूट कौड़ी नी देय थी भैया। हां यार गज्जू, जबसे शिवराज मामो आयो खेती-बाड़ी का काई ओने तो पैदा होना से मरना तक का पैसा देनो शुरु कर दिया रे। अब या देखो नी हमारी बाइचारा होन क भी तो हजार रुपयो महीनों दे रयो। हां यार या तो गजब ही कर दी। पर गज्जू असो कब तक चलगो रे। पोरया पारी होन का बारा म भी तो सोचनो चाहिये। कसी बात कै यार राधेश्याम। पोरया पारी होन क लिये तो शिवराज मामा ने बड़ी जोरदार योजना लायो ह। थारी कसम म्हारा क नी मालूम। के रे कसी योजना लायो जरा म्हारा क भी तो बता। अरे दाजी या योजना म सरकार छोरा छोरी होन क अलग-अलग तरीका क काम करनो सीखायेगी और ओ क बदला म महीना का पैसा भी देगी। जब काम करनो सीख जायगा तो वे खुद कमायगा। अरे वा यार या तो गजब की योजना है। के रे ए म सीखायगा काई और कित्ता पैसा देगा? दाजी आठ हजार स दस हजार रुपया महीना तक तो पैसा देगा और जिन क बिजली को काम खीखनो होय उन क यो सीखायगा। फिर कोइ क मैकेनिक तो कोई क मार्केटिंग, होटल को मैनेजमेंट, टूर प आना वाला लोग होन क बा क्षेत्र की जानकारी देना वाला गाईड, बीमा, बैकिंग, एकाउंटेंट, पत्रकार, विधि सेवा असा गंज सारा काम ह रे जिनका बारा म उन के सीखा क तैयार करगा। जब वे अच्छा तैयार हो जायगा तो खुद अपना काम शुरू कर देगा। कोई क आगे नौकरी का लिये हाथ नी फैलानो पड़े। यार यो तो बहुत अच्छो काम ह । हमारा स्याना बूढ़ा के गया की उत्तम खेती मध्यम व्यापार और नीच चाकरी। तो भैया अब खेती बाड़ी तो ये पढ़या लिखया पोरा पारी का बस की बात नी ह और फिर जमीन भी कित्ती कित्ती रई। हिस्सो बाटो करन बैठेगा तो एकड़ दो एकड़ पत्ती आयेगी। धंधो तो करनो पड़ेगो भैया। यार रामरतन यो शिवराज मामा को दिमाग तो कम्प्यूटर स भी तेज चले रे। न जाने काई काई सोचया करे। केरे इत्ती सारी योजना चला दी गिनन बैठा तो दिन डूब जाय। हां यार राधेश्याम अब अपन तो कही सीखना से रया। पोरया पारी सीख जायगा तो उनकी जिन्दगी सुधर जायेगी। फोकट का हजार दो हजार रुपया दे भी देता तो ओसे कब तक काम चलतो। चार गुण सीख जायेगा तो जिन्दगी भी कमा कर खायेगा। वा यार शिवराज भगवान थारो भला करे। यार ओको भलो नी करगो तो कसो काम चलगो अपना क हवाई जहाज पर बैठा क तीर्थ कौन ले जायगो। हव रे गजब कर डाली यार। पेलम रेल स और अब तो माय मारू सीधा हवाज प। के रे गज्जू असो नी होय की अपन बार-बार की जगह एक बार ही सब मिल क शिवराज क हमेशा का लिये मुख्यमंत्री बना देवा। दाजी असो होतो तो काई बात थी। पर तुम क रोक कौन रयो, तुम्हारा हाथ म ह जित्ता दिन चाहो बना क रखो। हव रे म तो कऊ जब तक मै रऊ शिवराज मामो ही मुख्यमंत्री रेय।

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