खरगोन – ठिबगांव बुजुर्ग के कैलाश सोलंकी आज से 10 वर्ष पहले सुबह 4 बजे से रात 12 बजे तक शराब का सेवन करते थे। शराब की लत इतनी बढ़ गई कि नहीं पीओ तो हांथ पांव कांपने लगते थे। तो उन्होंने शराब को ही दवाई मानकर पीते रहें। लेकिन जब बच्चें बड़े होने लगे तो उन्हें उनकी चिंता होने लगी क्योंकि लोग उन्हें शराबी न जाने किस किस नाम से पुकारते थे। बच्चों की परवरिश की चिंता के कारण उन्होंने शराब छोड़ दी। आज वे गांव में ही नर्सरी में पौध रक्षक का काम करते हैं। उन्होंने बताया कि वे 15 से 16 वर्ष में करीब 5 से 7 लाख की शराब भी चुके हैं। लेकिन अब उनकी कमाई अपने परिवार के काम में आ रही है। वे बताते हैं कि अगर वे आज भी शराब पीते तो लगभग अब तक 7 लाख रुपये की शराब पी जाते। शराब छोड़ने के बाद गांव में उनकी इज्जत बढ़ गई है। पहले जो कभी देखकर भागते थे, वे आज पास बैठकर गप्पे भी लगाते हैं। साथ ही शराब पर खर्च होने वाले रुपये भी बचाये हैं। शराब के बगैर जीने में ज्यादा आनंद है।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नशा निवारण दिवस पर अपना वीडियो जारी कर अन्य लोगों से शराब/नशा छोड़ने की अपील की है। उन्होंने ऐसे नागरिकों से आव्हान किया है जो शराब नहीं छोड़ पा रहें हैं। जो शराब की लत के कारण बदनाम होते हैं। कैलाश का कहना है शराब छोड़ना बिल्कुल मुश्किल नहीं है। सिर्फ अपने विचार में अपने स्वास्थ्य और अपने जीवन के आगामी दिनों को निहारने का प्रयास करें। आपकी एक कोशिश जीवन को नया रंग दे सकती है।
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