गठन के 37 साल बाद वृक्षारोपण का मूल्यांकन कराएगा पर्यावरण वानिकी मंडल

 

गणेश पांडे, भोपाल। राजधानी की ग्रीन कवर एरिया का असेसमेंट करने के लिए पर्यावरण वानिकी मंडल 1986 से अब तक कराए गए वृक्षारोपण का इवेलुएशन स्वतंत्र एजेंसी से कराने जा रहा है। इसके लिए निविदा भी बुलाई गई है। इसके लिए एजेंसी को साल भर का समय दिया जा रहा है। राजधानी परियोजना वन मंडल इकाई का गठन 1986 में हुआ था। 2 साल पहले इसका अस्तित्व समाप्त कर पर्यावरण वानिकी मंडल के रूप में नया नामकरण किया गया। इस इकाई के द्वारा 1986 से अब तक 50 लाख से अधिक वृक्ष लगाए गए। इसमें शहरी वृक्षारोपण के तहत 18 लाख 97 हजार 663 पौधे, भोज वेट लैंड 4 जून एवं रोड साइड लगभग 19 लाख से अधिक पौधों का रोपण करना शामिल है। अब 37 साल बाद पर्यावरण वानिकी मंडल के डीएफओ राजवीर सिंह यह जानने के लिए कि इन वृक्षों के लगाए जाने के बाद राजधानी की ग्रीन कवर एरिया बढ़ा अथवा कम हुआ है और पर्यावरण के ऊपर क्या इंपैक्ट पड़ा है, आदि सवालों का जवाब ढूंढने के लिए इवैल्यूएशन कराने जा रहे है। इसके लिए एक निविदा आमंत्रित की गई है। पर्यावरण इंपैक्ट एसेसमेंट के लिए वन विभाग की सामाजिक वानिकी शाखा बजट देगी। इस मूल्यांकन पर लगभग 10 लाख से अधिक खर्च होने का अनुमान है। वैसे राजधानी परियोजना वन मंडल के रोपे गए पौधों की जीवितता का प्रतिशत 97 से अधिक होने का दावा किया जाता है। इवैल्यूएशन से इस दावे की कलई भी खुल जाएगी।

 85 हेक्टेयर से अधिक एरिया पर अवैध कब्जा

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुनसिंह ने शहर की हरियाली को बचाने और उस भूमि को सुरक्षित रखने के लिए राजधानी परियोजना वन मंडल इकाई का गठन किया गया था। एक जानकारी के अनुसार राजधानी परियोजना वन मंडल को हस्तातंरित भूमि में से करीब 85 हेक्टेयर जमीन पर सत्ता के रसूखदारों ने कब्जा कर लिया है। इस जमीन को खाली कराने के लिए एनजीटी ने नगर निगम को हिदायत दी है। अधिकृत जानकारी के अनुसार बाबा नगर झुग्गी बस्ती, विकासकुंज, त्रिलोचन नगर, फॉर्चयून प्राइड के कुछ मकान और शगुफ्ता कुरैशी सहित अन्य छोटे-बड़े व्यापारियों ने कब्जे कर रखे हैं।

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