हिमालय की तरह विशाल दृढ़ता और इंदु अर्थात चंद्रमा तरह उज्जवलता है वो हिंदू है

देवास- वासुदेव कुटुम्बकम की अवधारणा लिए विश्व शांति की बात करने वाला शाश्वत सत्य का नाम सनातन है । मानव में सभ्यता को विकसित कर  मनुष्यता का निर्माण करने वाले सनातन की विचार धारा का नाम हिंदू है। हिंदू सम्भाव के विभिन्न विचारो के मोतियों की एक ऐसी माला है जो सनातन के मजबूत धागों में गूंथा हुआ है। हिमालय की विशाल दृढ़ है और इंदु अर्थात चंद्रमा की तरह उज्जवल है उसका शाब्दिक नाम हिंदू है। यह विचार कालानी बाग के दुर्गा मंदिर में वर्मा सोनी परिवार द्वारा पितृ पक्ष में पितृ मोक्षार्थ आयोजित श्रीमद् भागवत के चतुर्थ दिवस पर प्रभु श्रीराम के अवतार का वर्णन करते हुए।

अध्यात्म प्रवक्ता भगवताचार्य पंडित सुनिलकृष्ण व्यास ने व्यक्त करते हुए कहा कि जब प्रभु श्रीराम  ने निषादराज को गले लगाया था। जिस चरणों से गंगा निकली जिसे देवाधिदेव भगवान शंकर ने अपने शीश की जटा में स्थान दिया है वो गंगा पृथ्वी पर पवित्र है तो भगवान के  चरण निकलने वाले शुद्र भी उतने ही पवित्र है। भरत जी इस कथन की सुंदर व्याख्या करते हुए व्यास पीठ से  व्यास जी कहा कि  शुद्र को हमारे सनातन में कभी अपवित्र नही हिन्दू है और रहेगें। बालकृष्ण के रूप सुंद स्वरूप में आदृति उपाध्याय को वासुदेव बने अप्पू वर्मा टोकनी में बिठा कर लाए तो दर्शन के श्रोता का उत्साह उमड़ उठा जय कारे से सभी माता बहाने फूल बरसाते हुए  नृत्य करने लगी।

मुकेश वर्मा, दिनेश वर्मा सहित परिवार पूजा अर्चना की स्वर्ण कार महिला समाज की अध्यक्ष अरुणा सोनी सहित पदाधीकारियो ने गुरुदेव का स्वागत किया। कथा आरती में भाजपा के जिला अध्यक्ष राजीव खंडेलवाल, पार्षद आलोक साहू, अजय तवर, शिक्षाविद प्राचार्य विष्णु वर्मा, विजय सोनी, लघुभारती के अध्यक्ष प्रमोद गुप्ता, विजेंद्र उपाध्याय सहित बड़ी संख्या परिजन उपस्तिथि थे। कथा संचालन चेतन उपध्याय ने किया।

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