गणेश पांडे, भोपाल। सरकारी संस्थाएं अपने ही बनाए नियमों का पालन नहीं करती। इन संस्थाओं में कार्यरत आला अफसर यह मानकर चलते हैं कि नियम उनके लिए लागू नहीं होते। शायद इसीलिए पर्यावरण क्लीयरेंस लिए बिना ही नए वन भवन का निर्माण शुरू कर दिया। जब भवन कंप्लीट हो गया तब वन विभाग ने पर्यावरण क्लीयरेंस के लिए आवेदन दिया है। सूत्रों ने बताया कि अब सिया कमेटी नए भवन के प्रोजेक्ट कास्ट के एक प्रतिशत जुर्माना वन विभाग पर ठोंक सकती है। राजधानी के लिंक रोड नंबर दो पर ३ लाख वर्गफीट पर नवनिर्मित वन भवन एक नए विवादों की सुर्खियों में आ गया है। वन भवन बनकर तैयार हो गया परंतु उसका पर्यावरण क्लीयरेंस आज तक नहीं हो पाया है। वन मंडल भोपाल ने पर्यावरण स्वीकृति के लिए जनवरी में स्टेट एनवायरमेंट इंपेक्ट एसेसमेंट अथॉरिटी (सिया) में आवेदन दे दिया है। अभी सिया कमेटी की बैठक में नए वन भवन के पर्यावरण के क्लीयरेंस के लिए कोई चर्चा नहीं हो पाई है। जबकि वन विभाग के अफसर नए भवन में प्रवेश करने की प्रतीक्षा लंबे अरसे से कर रहे हैं। पर्यावरण नियम के अनुसार 20000 वर्ग मीटर से अधिक निर्माण कार्य पर पर्यावरण क्लीयरेंस लेना अनिवार्य है। नए वन भवन की निर्माण एजेंसी पर्यटन विकास निगम ने पर्यावरण क्लीयरेंस लिए बिना ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया। जब भवन बनकर तैयार हुआ तब सिया कमेटी की ओर से आपत्ति उठाई गई।
15 साल में 78 करोड़ से 178 करोड़ पहुंची लागत
नए वन भवन बनाने की शुरुआत 27 जुलाई 2008 में की गई थी। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नए वन भवन का नाम भविष्य की ग्रीन बिल्डिंग रखा था। इसकी शुरुआती लागत 85 करोड़ रुपये थी। इसके लिए अलग से बजट का प्रविधान किया गया था और मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम को निर्माण का जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन 14 वर्ष में 178 करोड़ रुपये व्यय करने के बाद भी वन भवन बनकर तैयार हो गया है पर वन मंत्री विजय शाह ने उसकी गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर एक जांच कमेटी बना दी है। जांच कमेटी अभी तक गुणवत्ता की रिपोर्ट तैयार नहीं कर पाई। सूत्रों का कहना है कि जांच कमेटी गठित होने के बाद भवन के निर्माण एजेंसी के डायरेक्टर की वन मंत्री विजय शाह से मुलाकात भी हो गई है। सूत्रों का कहना है कि गुणवत्ता की रिपोर्ट कमेटी शीघ्र सौंपने जा रही है।
विवादों से नाता जुड़ा रहा नए भवन का
वन विभाग का मुख्यालय भवन का विवादों से नाता जुड़ गया था। आनन फानन में 27 जुलाई 2008 को बिल्डिंग का भूमिपूजन तो करा दिया गया, लेकिन इसके पहले विभाग ने जमीन का आधिपत्य ही नहीं लिया। जबकि यहां पहले एक झुग्गी बस्ती थी। बाद में इसको लेकर विरोध शुरू हो गया। यहां तक की स्थानीय विधायक उमाशंकर गुप्ता ने भी इसे हटाने का विरोध किया। साढ़े 7 एकड़ जमीन छोड़कर वन विभाग को जैसे-तैसे जमीन का आधिपत्य मिला। लेकिन इस बीच अधिकारियों के तबादले हो गए। बाद में आए अफसरों ने इसमें बहुत ज्यादा रुचि नहीं दिखाई। 6 साल में इसके स्ट्रक्चर का काम पूरा हुआ, लेकिन लंबा समय गुजर जाने के चलते इसकी निर्माण लागत बढ़ गई, जिससे निर्माण एजेंसी ने काम करने से हाथ खड़े कर दिए। बाद में निर्माण एजेंसी आमरनतोश इंफ्राटेड प्राइवेट लिमिटेड ने काम ही छोड़ दिया। सितंबर 21 में रिटेंडर हुआ और शेष कार्य जेपी इंफ्रा स्ट्रक्चर ने पूरा किया। 1 नवंबर 22 को शिफ्ट होना था किंतु वन मंत्री विजय शाह ने भवन निर्माण की गुणवत्ता पर सवाल उठाकर भवन प्रवेश पर रोक लगा दी। अभी भी वन विभाग अपने नए मुख्यालय भवन में कब प्रवेश करेगा, इस पर संशय के बादल मंडरा रहे हैं।
ई ब्लॉक लोक प्रबंधन को देने पर असंतोष
वन विभाग के सभी अफसर नए मुख्यालय भवन में प्रवेश को लेकर उत्साहित नजर नहीं आ रहे हैं। उनमें नाराजगी इस बात को लेकर है कि उनके मुख्यालय नए भवन के ई-ब्लॉक लोक प्रबंधन को दिया जाना। वन विभाग के मुखिया ने लोक प्रबंधन को ई ब्लॉक दिए जाने को लेकर शासन के मुखिया के समक्ष अपनी आपत्ति भी दर्ज कराई थी। बताया जाता है कि वन बल प्रमुख की आपत्ति को अनसुना कर शासन ने ई-ब्लॉक के दो मंजिल को लोक प्रबंधन को आवंटित कर दिया।
नए वन भवन का वास्तु मंत्री के लिए शुभ नहीं
वास्तुविद एवं ज्योतिषाचार्य पंडित अरविंद तिवारी के अनुसार वर्तमान में जो नए भवन की नींव रखी गई थी। यदि आप इस भवन को ऊपरी स्वरूप में देखेंगे तो यह आठ के अंक यानी एक प्रकार से शनि के अंक के स्वरूप में बना हुआ है अर्थात आप इसको कभी भी संपूर्णता तक नहीं पहुंचा सकते हैं। इस भवन में बैठने वाला मंत्री कभी भी स्थाई रूप से अपने विभाग को सुशोभित नहीं कर पाएगा। इस मंत्रालय में जो भवन की स्थितियां हैं यदि आप मंजिलों को देखें तो उनकी संख्या भी लगभग 4 है और ऊपर पांचवी छत है। 4 और 8 का अंक 4 का अंक राहु का अंक माना जाता है। वही 8 का अंक शनि का अंक माना जाता है। वन विभाग जोकि बुध ग्रह से प्रभावित विभाग माना जाता है उसका संबंध राहु और शनि से उतना बेहतर नहीं है। बेशक शनि का मित्र ग्रह बुध होता है, परंतु आज के अंक में और सर्पाकार आकृति के रूप में इस प्रकार का भवन का वास्तु-वन विभाग के लिए अशुभ साबित होगा।
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