कमजोर पड़ी भवन की नींव, दरकने लगी दीवारें

जर्जर हुआ लाखों रूपए का भवन…..

– मुख्यालय पर पशु रोग अनुसंधान भवन का मामला

छीपानेर रोड स्थित सहकारी दूध डेयरी परिसर में बने पशु रोग अनुसंधान का भवन हवा में झूल रहा है। भवन का मुख्य आधार कमजोर होने के कारण बीम-कॉलम ने ज्वाइंट छोड़ दिए हैं। वहीं भवन की जमीन व दीवारे जगह-जगह से दरकने लगी हैं। हाल यह है कि करीब 4 साल पहले बनकर तैयार ये भवन इतने कम समय में दम तोड़ता नजर आ रहा है।


अनोखा तीर, हरदा। जिला मुख्यालय पर छीपानेर रोड स्थित सहकारी दूध डेयरी परिसर में करीब चार साल पहले बनकर तैयार पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला अपने निर्माण कार्य दौरान बरती गई लापरवाही की कहानी बयां कर रहा है। भवन के बीम-कॉलम यानि निर्माण का मुख्य आधार बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है। बीम-कॉलम के ज्वाइंट ने मुंह खोल दिया है। वहीं भवन की दीवारें जगह-जगह से दरकने लगी हैं। स्थिति यह है कि भवन का हाल देखकर कोई भी कह देगा कि इसके धसकने की आशंका है। इन सबके बीच नवीन प्रयोगशाला के निर्माण कार्य दौरान बरती गई अनियमिताओं का खामियाजा सामने है। करीब 20 लाख रूपए की लागत से बने इस भवन का एक हिस्सा तो इतना कमजोर है कि वहां पैर रखते ही खतरे का अहसास होने लगता है, जो कि चिंता का विषय है। खासकर यहां पदस्थ अमले को ज्यादा एहतियात बरतने की जरूरत है। ऐसा इसलिये क्योंकि, पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला में 2 डॉक्टर समेत कुल 6 सदस्यीय स्टॉफ है, जो खतरे से लबरेज इस भवन के नीचे काम करने का विवश हैं। यहां बताना होगा कि हाल ही में प्रदेश की व्यवसायिक राजधानी इन्दौर में बड़ा हादसा घटित हुआ है। जिसमें ३० से अधिक लोगों को अपनी जान गंवाना पड़ा। जिम्मेदार लोग अगर समय रहते कमियों को दूर कर देते तो इतने परिवारों पर दुख का पहाड़ ना टूटता । लापरवाही की वजह से जिम्मेदार लोग कार्यवाही के दायरे में हैं।

गारंटी पीरियड में खुली पोल
इस संबंध में उप संचालक पशु सेवाएं एसके त्रिपाठी ने बेहिचक स्वीकार किया कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता को ताक पर रखा गया। यही वजह रही कि कम समय में निर्माण कार्य की पोल खुल गई है। जिस पर 20 लाख रूपए से अधिक खर्च हुआ है।

कई बार लिख चुके पत्र
उन्होंनें बताया कि निर्माण एजेंसी पीआईयू की देखरेख में ठेकेदार ने काम किया है। फिलहाल निर्माण का गारंटी पीरियड चल रहा है। इस संबंध में लोक निर्माण विभाग को कई बार पत्र लिखकर गुणवत्ताहीन काम का जिक्र किया। वहीं सुधार कार्य पर जोर दिया है।

लाखों रूपए की बाउंड्रीवाल ध्वस्त


इधर, प्रांगण में पशु रोग अनुसंधान भवन के अलावा पूर्व में पशु चिकित्सालय भवन का निर्माण हुआ था। उसी समय परिसर को सुरक्षित करने के लिहाज से बाउंड्रीवाल भी बनाई थी, वह भी कम समय में धाराशायी हो गई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार बाउंड्रीवाल के निर्माण में भी जमकर कोताही बरती गई है। जिसके चलते लाखों रूपए की लागत से तैयार पक्की बाउंड्रीवाल औचित्यहीन साबित हुई है। सूत्रों के मुताबिक करीब से देखने पर मालूम पड़ेगा कि बाउंड्रीवाल का निचला हिस्सा इतना कमजोर था कि देखते ही देखते बाउंड्रीवाल ध्वस्त हो गई। जिसका सुधार कार्य अब तक नही हुआ है।

प्रयोगशाला में यह सुविधाएं
प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रयोगशाला में रक्त का नमूना, सीबीसी, मूत्र जांच, गोबर की जांच, दूध की जांच तथा वायरस जनित रोगों की संपूर्ण जांच की तैयारी है। परंतु जिस भवन में यह तमाम सेवाएं प्रदान की जा रही है, वह बुरी तरह से जर्जर होने के साथ-साथ धसकने की कगार पर है। यही कारण है कि भवन की हालत देखकर अप्रिय हादसे का डर लाजमी है।

व्यवस्था पर एक नजर ….
पशु रोग अनुसंधान प्रयोगशाला — लागत 20 लाख
प्रयोगशाला का उद्देश्य — तकनीक का इस्तेमाल
प्रयोगशाला में पदस्थ अमला — 6 सदस्यीय स्टॉफ

इनका कहना है….
करीब 4 साल पहले प्रयोगशाला बनकर तैयार हुई थी। कम समय में गुणवत्ताहीन निर्माण की बात सामने आने के बाद से ही निर्माण एजेंसी पीआईयू से लगातार पत्राचार जारी है। पुन: पत्र लिखकर सारी स्थिति से अवगत कराएंगे।
एसके त्रिपाठी, उपसंचालक
पशुपालन विभाग, हरदा

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