खंडवा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के आने पर विरोध व काले झंडे दिखाने की चुनौती से पुलिस व प्रशासन दो दिन से रणनीति बना रहे थे। पुलिस रणनीति में सफल हुई। कांग्रेसियों ने भी मन की भड़ास निकाल ली। सीएम के आने से छह घंटे पहले पुलिस ने युवा कांग्रेसियों को चिन्हित कर लिया। इनके घर से निकलते ही पकड़कर वाहनों में बैठा लिया। कुछ तो काले कपड़े पहन आए थे।
कुछ नेताओं के मोबाइल नंबर ट्रेस करके लोकेशन ली। कांग्रेस कार्यालय गांधी भवन भी पुलिस घुस गई। कई नेताओं को तो टांगा-टोली करके वाहनों में भरा। सबको छैगांवमाखन थाने ले जाया गया। कांग्रेसियों को पकडऩे की जिम्मेदारी चार टीआई को दी गई थी। सीएम के आने से पहले ही कई तो काले झंडे लेकर दौड़ते नजर आए।
कैसे पकड़ाए नेता?
कुंदन मालवीय, यशवंत सिलावट, अंकित पाठक ने बस में बैठने का विरोध किया तो इन्हें पकड़कर अंदर कर दिया। अंकित पाठक ने बस से ही इसे भाजपा की तानाशाही बताया। उन्होंने कहा कि प्रदर्शन तो किया ही नहीं था, फिर गिरफ्तारी कैसे? दीपक मुल्लू राठौर को इंदिरा चौक स्थित अश्विनी चौहान के कार्यालय से गिरफ़्तार कि या। मुल्लू ने कहा वे जनप्रतिनिधि हैं। प्रतिपक्ष के नेता हैं। शिवराज हमारे भी सीएम हैं। जनता की बात उन तक पहुंचाना हमारा कर्तव्य है। फिर भी कलेक्टर ने सीएम से मिलने नहीं दिया। अब चार टीआई भेजकर मुझे उठाया जा रहा है? यह कैसा लोकतंत्र है?
साइबर का भी पुलिस को सहारा
शहजाद पवार, सागर पवार को लोकेशन ट्रेस कर अवस्थी चौक से घेरा बनाकर गाड़ी में बिठाया। अय्यूब लाला को उनके निवास उठाया गया। प्रियेश चौकड़े, मुजाहिद क़ुरैशी, विनीत सकरगाए, देवेंद्र थीटे, रितेश मेलुंदे, अभिजीत जैन को गांधी भवन से उठाया। शहजाद पंवार को माता चौक से गिरफ्तार किया। अब्दुल कादर और देवांश ओझा को इंदिरा पार्क से ले गए।
आवाज दबाने का आरोप
प्रदेश कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सत्ता के कारण सरकार और प्रशासन समझ नहीं पा रहा है कि जनता के हक की आवाज उठाने वाले विपक्ष को दबाकर ये क्या साबित करना चाहते हैं? शहर में व्याप्त नर्मदाजल और बायपास रोड पर देशगांव-रूधी रोड का भूमिपूजन क्या जरूरी था।
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