हाईकोर्ट में यूपीएससी के जवाब से तय होगा एसएफएस से आईएफएस इंडक्शन

 

गणेश पांडे, भोपाल। आसमान से टपके खजूर पर लटके वाली कहावत राज्य वन सेवा के नौ अधिकारियों पर सटीक बैठ रही है। केंद्रीय कार्मिक विभाग और यूपीएससी से क्लीयरेंस होने के एक महीने बाद भी आईएफएस इंडक्शन की सूची जारी नहीं हो पाई है। यह मामला हाईकोर्ट जबलपुर में लंबित है। हाईकोर्ट ने राज्य शासन से जवाब आने के बाद जवाब देने के लिए यूपीएससी को 2 हफ्ते का समय दिया है। 20 मार्च को इसी मामले की सुनवाई है और यूपीएससी का जवाब अभी तक न्यायालय में प्रस्तुत नहीं किया गया है। राज्य वन सेवा से आईएफएस इंडक्शन के लिए 15 फरवरी 23 को डीपीसी हुई थी। इसमें 9 अफसरों को आईएफएस के लिए हरी झंडी दे दी थी, किंतु सूची अभी तक जारी नहीं हो पाई है। जब मामले की पड़ताल की तब पता चला कि राज्य वन सेवा के दो अधिकारियों विद्याभूषण मिश्रा और राजबेन्द्र मिश्रा ने सीनियरिटी को लेकर याचिका हाईकोर्ट जबलपुर में लंबित है। इस याचिका के तारतम्य में 28 फरवरी 23 को उच्च न्यायालय जबलपुर यूपीएससी का जवाब आने तक यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए है। यूपीएससी को जवाब 16 मार्च तक उच्च न्यायालय में प्रस्तुत किया जाना था, किंतु अभी तक जवाब प्रस्तुत नहीं किया जा सका है। इस आशय की पुष्टि प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन-एक आरके यादव ने भी की है। यादव का कहना है कि यूपीएससी को अपना जवाब प्रस्तुत करना है।

 क्यों दाखिल हुई याचिका

राज्य वन सेवा की वरिष्ठता को लेकर याचिकाकर्ता विद्या भूषण मिश्रा और राजबेंद्र मिश्रा की मांग है कि उनकी वरिष्ठता 2011 से मानी जाए। इसी को लेकर याचिका लगाई है। इस संबंध में उनका कहना है कि पीएससी में उनका सिलेक्शन 2011 में हुआ था, तभी से उनकी सीनियरिटी गिनी जाए किंतु विभाग ने उनकी नियुक्ति दिनांक 23 जुलाई 2015 माना। इसी आधार पर ही उनका नाम आईएफएस इंडक्शन में नहीं भेजा गया। कार्मिक विभाग के नियमानुसार आईएफएस के लिए राज्य वन सेवा के रूप में कम से कम 8 साल की सेवा पूर्ण कर ली हो। पीसीसीएफ यादव ने बताया कि 2015 के अनुसार 8 साल की सेवा विद्या भूषण मिश्रा और राजबेंद्र मिश्रा की नहीं हुई है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि उनकी सेवाओं की गणना संविदा शिक्षक के रूप में चयनित होने की तिथि से गिना जाए। उन्होंने तर्क दिया कि उनका चयन पीएससी में हो गया था। इसी आधार पर ही उच्च न्यायालय के निर्देश पर ही उन्हें वरिष्ठ वेतनमान और वरिष्ठ प्रवर श्रेणी वेतनमान दिया गया। इस आधार पर उनकी वरिष्ठता की गिनती वर्ष 2011 से ही की जाए। वन विभाग के एक सीनियर अधिकारी का कहना है कि संविदा शिक्षक का चयन जिला पंचायत से हुआ था न कि पीएससी के पद पर उनकी नियुक्ति हुई। संविदा शिक्षक का पद विभाग का फीडर पद नहीं है, इसलिए उनकी वरिष्ठता की गिनती 2011 से नहीं हो सकती है। यदि यूपीएससी के आधार पर रेंजर अथवा अन्य फीडर पद पर होता तब उन्हें ने इस पद के लिए पात्र माना जा सकता था। विभाग ने अपना पक्ष हाईकोर्ट में रख दिया है, अब यूपीएससी को जवाब प्रस्तुत करना है।

इन्हें मिली आईएफएस बनने की हरी झंडी

जिन नामों पर आईएफएस के लिए सहमति बनी है उनमें लोकप्रिय भारतीय, हेमलता शाह, संजय रायखेरे, अमित पटौदी, अमित कुमार सिंह, ऋषि मिश्रा और आशीष बंछोर के नाम प्रमुख है। एक बार फिर सीमा द्विवेदी का नाम होल्ड पर रखा गया है।

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