खंडवा। कोरोना ने हमारी जिंदगी में कई बदलाव के साथ-साथ हमारी सोच को भी बदला है। कोविड के समय में जिस तरह से ऑक्सीजन की कमी देखने में आई थी उसको देखते हुए लोगों ने अब पर्यावरण के लिए जरूरी पेड़-पौधों को बचाने का बीड़ा उठाया है। व्यवसायिक दौर में खंडवा के एक युवा व्यवसायी ने पेड़ को पुनर्जीवन देकर मिसाल पेश की है। शहर में 60-70 साल पुराने पीपल के पेड़ों को एक स्थान से दूसरे स्थान शिफ्ट किया गया। यह सब कुछ खंडवा के समाजसेवी व कॉलोनाइजर ने किया। जिसने कोरोना काल में ऑक्सीजन की कमी से अपने ही लोगों को खोते देखा। समाजसेवी रितेश गोयल नेे कहा कि समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना चाहते हैं। कोविड के समय मैंने लोगों को सांस के लिए हांफते देखा, क्योंकि ऑक्सीजन की कमी थी और इसके बाद मुझे पेड़ों के महत्व का एहसास हुआ। हम सबका दायित्व है कि वृक्षों में भी जान होती है उन्हें काट कर मौत के घाट न उतारे। आज के आधुनिकीकरण के इस युग में वृक्षों को भी शिफ्ट करने की योजना बनी है और यह प्रयोग सफल भी हो रहा है। समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि रितेश गोयल द्वारा 60 से भी अधिक वर्षों के पीपल एवं बरगद के पेड़ों एक स्थान से दूसरे स्थान पर शिफ्ट करवाया जा रहा है। गुरूवार को कॉलोनी में 8 वृक्षों को निकाल कर पांच वृक्षों को ट्राले में रख कर शहर में वृक्षों की यात्रा निकालते हुए बालाजी नगर छैगांवमाखन में शिफ्ट किया गया। वहीं इस अंजली बालाजी नगर में ही तीन वृक्षों को शिफ्ट किया गया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में खंडवा के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।
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