*आठनेर मुकेश सोनी*
चिट्ठी संदेश भेजने वाला पत्रों का डिब्बा इन दिनों वृक्षों में लटका हुआ हर शहर हर ग्राम में आपको खाली ही दिखेगा आज वह खुद बेखबर है जो कभी दूसरों की खबर देते थे जबकि यह लाल डिब्बा अपने आप में एक महत्वपूर्ण माना जाता था क्योंकि पहले यह डब्बे से ही पत्रों का आना जाना होता था परंतु आज वह खुद बेनाम हो गए हैं जो कभी हर किसी की खबर देते थे आज उनकी कोई खबर लेने वाला नहीं बचा है नगर के संजय मालवीय हेमंत नामदेव ओम प्रकाश सोनी आदि जनों ने बताया कि पहले पोस्टकार्ड अंतरदेसी कार्ड एवं लिफाफे में बंद राखिया इस लाल डिब्बे की शोभा बढ़ाया करती थी प्रति दिवस पोस्टमैन इस लाल डिब्बे के पास के पास आकर पूरे पत्रों को समेटकर अपनी बोरी में डाल डाकघर ले जाता था और नए पत्रों को अपने-अपने ग्रामों में बाटता था पोस्टमैन के आते ही सभी लोग उसे बड़े गौर से देखा करते थे भैया हमारा कुछ है क्या वह दिन याद करते हुए उन्होंने बताया कि आज इंटरनेट का जमाना हो गया है परंतु वह पत्र वह लाल डिब्बा आज अपनी बेबसी पर वृक्षों पर टगे हुए खुद इन सारी चीजों से बेखबर हो गए है जो पहले सबकी खबर लिया करते थे
Views Today: 2
Total Views: 36