– सच्चे मन से कथा सुनो तभी आपका मोक्ष संभव हो सकेगा : पं. नागर
अनोखा तीर, सिवनी मालवा। नर्मदापुरम-हरदा बाईपास रोड पर यशवंत पटेल द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में भक्तों को भागवत कथा सुनाते हुए भागवत कथा वाचक पं. कमल किशोर नगर ने कहा भगवान को भोग मत लगाना परंतु अपने माता-पिता को सबसे पहले भोजन परोसना। पंडित कमल किशोर नागर ने कहा कि भगवान भी आपका भोग तभी स्वीकार करेंगे जब आप पहले अपने माता-पिता को भोजन कराएंगे। मां-बाप दुबारा नहीं मिलेंगे इसलिए उनकी सेवा करो। महाराज परीक्षित का मोक्ष 7 दिन कथा सुनने के बाद ही हुआ, सच्चे मन से कथा सुनो तभी आपका मोक्ष संभव हो सकेगा। जिस प्रकार चींटी अपने आप बद्री धाम नहीं जा सकती, परंतु वह बद्रीधाम जाने वाले के समान में घुसकर बद्रीनाथ जाने में सफल हो सकती है। उसी प्रकार व्यक्ति यदि कथा में घुसकर सुनते रहे तो उसको भी परमात्मा के दर्शन हो सकते हैं। कथा आपके पाप को पूरी तरह समाप्त तो नहीं कर सकती है, परंतु उन्हें कम जरुर कर सकती है। ईश्वर पर भरोसा रखो वह गुरु के रूप में सदैव आपकी रक्षा करता हैं, मोह-माया में मत फंसों, दुश्मन आपकी जीते जी जगाता रहता है परंतु जो आपके कर्म हैं वह मरने के बाद भी जागते ही हैं। जब भगवान आपको अपने घर से बुलाकर 5 बजे तक कथा में बैठाता है तो उसे आपके भाव की अनुभूति होती है। इसी अनुभूति के आधार पर ईश्वर आपके ऊपर अपनी कृपा अनुग्रह करता है। केवल ईश्वर सत्य है बाकी सब धोखा है, संपत्ति के लिए जो भाग में विधाता ने लिख दिया वही होता है, वह बदलता नहीं। जैसे डॉक्टर दवाई देता है तो पर्चे में लिखता है उस पर्चे में जो लिखा हुआ है उसे बदल नहीं सकते। जैसा लिखा होता है वैसा ही खाना पड़ता है। अत: जो ईश्वर ने कर्म में लिखा है प्रभु की इच्छा मानकर स्वीकार कर वैसे ही कार्य करना चाहिए। पंडित नागर जी ने कहा कि लोग हमारे बारे में अफवाह फैलाते हैं, गौ माता के नाम पर कमाई करते हैं। परंतु हम दक्षिण में केवल तुलसी जल ही लेते हैं, अन्नदान आदि जो भी होता है वह गौ ग्रास गौशालाओं पर ही खर्च होता है। हम केवल दक्षिणा में केवल तुलसी दल ही लेते हैं, क्योंकि मां का दूध, भगवान की कथा को बेचा नहीं जाता। श्रीमद् भागवत कथा को राजा परीक्षित को सुखदेव जी ने सुनाई। इस कथा को सुखदेव जी के पिता व्यास जी भी सुनने आए। उन्हें देखकर किसी ने व्यास जी से पूछा की श्रीमद् भागवत पुराण आपने लिखी पर आप सुनते क्यों आए तो व्यास जी ने कहा कि मैंने कथा तो लिखी परंतु मेरी कथा में कभी कृष्ण भगवान नहीं आए। परंतु परीक्षित की कथा में स्वयं कृष्ण भगवान प्रतिदिन आते हैं। इसलिए मैं कथा सुनने आता हूं। पूज्य नागर जी ने शिक्षा देते हुए प्रेम विवाह, लिव इन रिलेशनशिप चरित्रहीनता पर कड़ा प्रहार करते हुए उसे व्यक्ति, परिवार, राष्ट्र एवं धर्म के लिए खतरनाक बताया। पूज्यनीय नागर जी ने कहा कि सबका साथ दो जिसका स्वास्थ्य खराब है उसको देखने उसके घर दो बार जाना चाहिए। परंतु जिनका समय खराब है उसके पास सदैव जाना चाहिए। कथा के अंतिम दिवस श्रद्धालुओं का जन सैलाब उमड़ पड़ा।

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