लोकतंत्र का मंदिर या सियासीअखाड़ा!धक्का-मुक्की में बदली संविधान चर्चाजनहित पर भारी नेताओं की सियासतशोर-शराबे में दबी जनता की आवाजबदलती प्राथमिकता से आमजन हैरान
संसद हो या मप्र की विधानसभा,बीते दो दिनों से केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की एक टिप्प्णी को लेकर सदन का बहुमूल्य समय हंगामे की भेंट चढ़ गया..यह पहला मौका नहीं है जब राजनीतिक दलों के समक्ष जनहित से ज्यादा सियासी मुद्दे प्राथमिकता रहे हों…. भारतीय संविधान के 75वर्ष पूरे होने पर संसद में दो दिन विस्तार से चर्चा हुई..इसके बहाने पक्ष-विपक्ष ने एक दूसरे को घेरने का जतन भी किया..चर्चा के दौरान ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह संविधान निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर को लेकर कुछ ऐसा बोल गए कि विपक्ष ने इसे उनका अपमान बताते हुए हंगामा खड़ा कर दिया.. इस पर दूसरे दिन सफाई भी आई..शाह ने कहा कि उनके भाषण के एक अंश को तोड़ मरोड़कर विपक्ष पेश कर रहा है..प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शाह के पक्ष में खड़े नजर आए.. वहीं,कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने शाह के इस्तीफे की मांग रख दी..इस समूचे घटनाक्रम में उस वक्त मोड़ आया जब बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी व मुकेश राजपूत घायल हो गए.. और उन्हें अस्पताल में दाखिल होना पड़ा..आरोप लगा कि सारंगी को राहुल गांधी ने धक्का दिया… इससे वह घायल हुए..मामला इतना तूल पकड़ा कि एफआईआर तक होने की नौबत आ गई…संसद के इस घटनाक्रम को लेकर मप्र विधानसभा में भी कांग्रेसी विधायकों ने विरोध प्रदर्शन किया..सत्ता पक्ष व विपक्ष के बीच तीखी नोंक—झोंक,नारेबाजी हुई..सदन के नेता डॉ मोहन यादव को कहना पड़ा कि सदन चले या न चले,लेकिन वह विपक्ष का अपमानजनक रवैया बर्दाश्त नहीं करेंगे…जाहिर है,इस हंगाम के बीच जनहित से जुड़े मुद्दे प्राथमिकता से हट गए..यानी एक कथित बयान को लेकर लोकतंत्र के मंदिर में राजनेताओं का यह रवैया हैरानी पैदा करने वाला है… यह बताता है कि नेताओं के लिए जनहित से ऊपर उनकी अपनी सियासत है…।
संसद में दो दिनों से जारी घटनाक्रम व मप्र विधानसभा में दिल्ली के मुद्दे को लेकर विपक्ष का हंगामा पूरी तरह राजनीति पर आधारित है. जबकि संविधान पर चर्चा के बाद यह उम्मीद जताई जाती रही कि अब सत्र के शेष दिनों में कामकाज सामान्य रहेगा,… संसद हो या मप्र विधानसभा का सदन,जनहित से जुड़े मुद्दे जनप्रतिनिधियों की प्राथमिकताओं में होंगे..लेकिन ऐसा हो न सका..सियासत एक बार फिर आमजन की आवाज पर भारी पड़ी।
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