मुख्यमंत्री की पहल पर…. आज नर्मदांचल में होगा उद्योगपतियों का समागम

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6वीं रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में 5 देशों के प्रतिनिधि होंगे शामिल

वर्षों से कई सरकारें मध्यप्रदेश में औद्योगिक निवेश को बढ़ावा देने के लिए बड़े-बड़े महानगरों में इन्वेस्टर सबमिट आयोजित कर विदेश में बसे बड़े-बड़े उद्योगपतियों को अपने प्रदेश में आकर आकर्षित करने का कार्य करती रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव ने अपने अल्प कार्यकाल में ही पूरे प्रदेश में उद्योग धंधों को स्थानीय और विदेशी निवेशकों के माध्यम से संभागीय स्तर पर जो रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव प्रारंभ करने की मुहिम प्रारंभ की है, वह निश्चित ही प्रदेश में निवेशकों को हर ग्राम और शहर में निवेश के लिए आकर्षित कर रही है। प्रदेश के मुखिया श्री यादव की पहल पर नर्मदांचल में होने वाली यह छटवीं रिजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव है। इससे पूर्व उज्जैन, ग्वालियर सहित 5 संभागीय मुख्यालय पर रिजनल इंडस्ट्री कान्क्लेव का आयोजन किया जा चुका है। उद्योग वर्ष 2025 के तहत आयोजित इस कानक्लेव का मकसद प्रदेश के हर क्षेत्र को औद्योगिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है और इस कॉनक्लेव के माध्यम से नर्मदापुरम, हरदा एवं बैतूल जिले को औद्योगिक मानचित्र पर स्थापित करना मुख्यमंत्री का मूल लक्ष्य है।

नितेश गोयल, हरदा। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव राज्य को औद्योगिक विकास और रोजगार के केंद्र में परिवर्तित करने के लिए अपने अभिनव प्रयासों को जारी रखते हुए आज 7 दिसंबर 2024 को नर्मदापुरम में 6वीं रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का शुभारंभ करेंगे। कॉन्क्लेव में शामिल होने के लिए 4 हजार से अधिक रजिस्ट्रेशन हुए हैं, जिनमें 3 हजार एमएसएमई प्रतिनिधि, 75 प्रमुख निवेशक, और कनाडा, वियतनाम, नीदरलैंड, मेक्सिको और मलेशिया जैसे 5 देशों के अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि शामिल होंगे। विभिन्न सेक्टोरल सत्रों में राज्य की औद्योगिक नीति, निवेश प्रोत्साहन और एमएसएमई के लिए उपलब्ध संभावनाओं पर चर्चा की जाएगी। मुख्यमंत्री डॉ. यादव रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव में विभिन्न औद्योगिक परियोजनाओं का वर्चुअल भूमिपूजन और उद्घाटन करेंगे। इस आरआईसी में निवेशकों को भूमि आवंटन-पत्र भी वितरित किए जाएंगे। निवेशकों के साथ वन-टू-वन मीटिंग होगी, जिसमें 10 से अधिक प्रमुख निवेशक अपनी योजनाएं प्रस्तुत करेंगे। इसके अलावा, राउंड टेबल सत्र नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र पर केंद्रित होगा। निर्यात कैसे शुरू करेंÓ और ‘पर्यटन में निवेश संभावनाएँ’ जैसे विषयों पर सेक्टोरल-सत्र भी होंगे।

नर्मदांचल में उद्योगों की अपार संभावनाएं
नर्मदा नदी और उपजाऊ भूमि के कारण नर्मदांचल प्रदेश का सबसे समृद्ध संभाग माना जाता है। कृषि क्षेत्र में नर्मदांचल क्षेत्र उत्पादन के मामले में नंबर 1 पर है। बंपर उत्पादन होने के बावजूूद नर्मदांचल के नर्मदापुरम, हरदा, बैतूल जिले में कृषि आधारित उद्योगों की कमी है। मुख्यमंत्री श्री यादव द्वारा आयोजित की जा रही संभागीय स्तर के इस रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव का सबसे अधिक फायदा उद्योगपतियों को कृषि क्षेत्र के औद्योगिक उत्पाद इंडस्ट्रीज के लिए आकर्षित करवाना रहेगा। आज हम हरदा, नर्मदापुरम जिले की ही बात करें तो गेहूं, चना, मूंग, सोयाबीन, धान और मक्का के साथ ही उद्यानिकी क्षेत्र में मिर्च, टमाटर, अदरक, लहसुन, संतरा, आम उत्पादन में सर्वोपरि है। उत्पादन के साथ ही उपजाउ भूमि होने के कारण यहां की उत्पादित खाद्य सामग्री की क्वालिटी भी उत्कृष्ट रहती है। बंपर उत्पादन होने के बावजूद इस संभाग में उत्पादित होने वाली खाद्य सामग्री को दूसरे प्रदेशों और देशों में बिना प्रोसेसिंग के ही भेजना पड़ता है। यदि इन खाद्य सामग्रियों के आधारित उद्योग की स्थापना हो जाए तो उद्योगपतियों को तो फायदा होगा ही, वहीं इसका सीधा सीधा लाभ किसानों और संभाग के हजारों बेरोजगार युवाओं को मिलेगा। इसी तरह बैतूल और टिमरनी क्षेत्र वनांचल के रूप में जाना जाता है। इस वनांचल में जो सागौन का वृक्ष होता है, उसकी लकड़ी देश ही नहीं, विदेशों में भी अपनी एक अलग पहचान रखती है। यहां पर इन लकड़ियों की प्रोसेसिंग  के लिए आरा मशीन तो स्थापित है, लेकिन इन लकड़ियों की प्रोसेसिंग कर उद्योग स्थापित किया जाए तो यहां की सागौन से और अधिक आय प्राप्त हो सकती है। इसी तरह इन वनों में वेशकीमती और औषधीय वनोपज प्राप्त होती है। आज तक इन वनों से प्राप्त होने वाली वनोपज का कोई सही उपयोग नहीं हो पाया है। यदि वनोपज आधारित उद्योग की इस क्षेत्र में स्थापना हो तो वनों में रहने वाले आदिवासियों को निश्चित ही बहुत अधिक लाभ प्राप्त हो सकता है। इसी तरह प्रदेश के इस संभाग में कई कंपनियां कार्बन क्रेडिट हेतु आकर्षित हुई हैं। बांस के पौधों के रोपण के माध्यम से यह संभाग अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। जिसके कारण विदेशों में जहां भूमि की उपलब्धता नहीं है, वहां पर कार्बन के्रेडिट बेचकर बिना किसी खर्चे के विदेशी आय बढ़ाई जा सकती है। इस ओर भी यदि संभाग के आदिवासियों को जागरुक कर वन समिति और निवेशकों को आकर्षित कर कार्य कराया जाए तो कार्बन क्रेडिट बेचकर ही लाखों-करोड़ो रुपए की आय ली जा सकती है। नर्मदापुरम संभाग में पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं। पचमढ़ी को तो प्रदेश का मिनी काश्मीर तक कहा जाता है, संभाग के नर्मदातट और सतपुड़ा का विहंगम जंगल सहित धार्मिक स्थल पर्यटन के क्षेत्र में पूरे प्रदेश में अपनी एक अलग पहचान बना सकता है। उद्योगपतियों को आकर्षित करने के लिए प्रदेश के इस संभाग में अपार संभावनाएं हैं। प्रदेश के मुखिया डॉ मोहन यादव की इस रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव निश्चित ही असरदायक रहेगी और इस संभाग में उद्योग और रोजगार को एक नई राह प्राप्त होगी।

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