परमगति को दिलाने वाला है भगवान विष्णु और जाम्भोजी का नाम : डॉ. गोवर्धनराम शास्त्री

 

विश्नोई समाज के पांच दिवसीय अगहन महोत्सव का आज होगा समापन

अनोखा तीर, हरदा। नीमगांव स्थित श्रीगुरु जम्भेश्वर मंदिर में आयोजित पांच दिवसीय अगहन महोत्सव का समापन रविवार को मेले के साथ होगा। शनिवार को आचार्य संत डा. गोवर्धनराम शिक्षा शास्त्री ने भगवान विष्णु और श्रीगुरु जम्भेश्वर भगवान की स्तुति के साथ जाम्भाणी हरिकथा का वाचन शुरू किया। उन्होंने कहा कि जिस समय उदा और अतली सद्गुरु भगवान जम्भेश्वर के चरणों में वंदन करते हुए जीवन के विषय में निवेदन करते हैं कि ऐ प्रभु आपकी कृपा से अतीत की खुशियां वापस लौट आई। आतिथ्य सत्कार का हमें सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपकी कृपा से अन्न और धन प्रचूर मात्रा में व्यवस्था हो गई। अब मन में केवल एक ही प्रबल भावना है जुक्ति के साथ युक्ति का मार्ग प्रशस्त कर सके। शास्त्रों में प्रभु तक पहुंचने के तीन मार्ग बताए हैं। पहला ज्ञान, दूसरा योग और तीसरा भक्ति का मार्ग। भक्ति का मार्ग मां की ममता की तरह है। ज्ञान का मार्ग साठी का कुआं है। १०० फीट गहरा कुआं हो और प्यास लगी हो तो हर कोई पानी पी नहीं सकता। भक्ति का मार्ग एक सरोवर की तरह है। वहां इंसान, पशु और परिंदे पानी आसानी से पी सकते हैं। भगवान जाम्भोजी ने सबसे सरल जो मार्ग बताया जिमसें कोई दिखाया या प्रदर्शन नहीं केवल एक बहाव का चत्मकार देखने को मिलता है, जो हर एक के लिए सरल और सुलभ है। जो भी व्यक्ति पवित्र नाम विष्णु को अपनी जीभ पर बसा लेता है उसके प्रभाव से जीव के जीवन में जनम मरण का अंत होगा और परमानंद की प्राप्ति होगी। इसी पवित्र विष्णु नाम जाप पांच करोड़ भक्ति प्रहलाद के साथ, सात करोड़ जीवन राजा हरिशचंद्र के साथ और नौ करोड़ जीव राजा युधिष्ठिर के साथ परमगति को प्राप्त हो चुके हैं। इसी तरह भगवान विष्णु कलिकाल में भगवान जाम्भोजी के रूप में आते हैं और बारह कोटी जीवों को जिस भी रूप में, जिस भी स्थिति में और जिस भी लोक में थे उन्हें सद्गति दिलाई। ऐसा प्रभाव है विष्णु नाम का। विष्णु शब्द का अर्थ ही होता है व्यापक। इसी तरह डा. गोवर्धनराम महाराज ने कथा का विस्तार से वर्णन किया।

गांव में शोभायात्रा निकाली  

मध्यक्षेत्र विश्नोई सभा के सचिव पूनमचंद्र पवार ने बताया कि शनिवार सुबह 10 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम हुए, जिसमें समाज के 10 वर्ष के बच्चों के लिए मौखिक परीक्षा आयोजित की गई। इसके अलावा रंगोली व चित्रकला प्रतियोगिता भी हुई। शाम 6 बजे से मंदिर से भगवान जम्भेश्वर की विशाल शोभयात्रा निकाली गई। शोभायात्रा का गांव में जगह जगह स्वागत किया गया। रात 9 बजे से मंदिर में रात्रि जागरण का कार्यक्रम किया गया।

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