-तुलाई में समय लगने से २४ घंटे तक का करना पड़ रहा इंतजार
-२० खरीदी केन्द्रों पर अब ४८६८ मेट्रिक टन सोयाीबन की हुई खरीदी
लोकेश जाट, हरदा। जिले में एमएसपी पर सोयाबीन खरीदी के किए बनाए गए केन्द्रों पर इन दिनों टै्रक्टर की लम्बी लाइन देखने को मिल रही है। जो किसान अपनी उपज लेकर केन्द्र पर पहुंच रहा है उसे अपना नंबर आने के लिए २४ घंटे से भी ज्यादा समय का इंतजार करना पड़ रहा है। बनाए गए खरीदी केन्द्र के बाहर तथा अन्दर सोयाबीन भरी ट्रेक्टर ट्रालिया खड़ी देखी जा सकती है। अपना नंबर आने का इंतजार कर रहे किसानों ने बताया कि मंगलवार की दोपहर २ बजे से लाइन में लगे है और बुधवार शाम ६ बजे तक नंबर आने की उम्मीद है। किसान कड़कडाती ठंड में अपने वाहन पर ही रात गुजारने को मजबूर है। रूपी पटेरिया के जिला मुख्यालय स्थित कृषि उपज मंडी में जब इसका कारण पता किया गया तो पता चला कि केन्द्र पर तीन कांटों पर तुलाई की जा रही है। जो हाथ से तुलाई करने के कांटे है जिसमें समय लग रहा है। हाथ कांटे से हो रही तुलाई के कारण समय की समस्या आ रही है वही जब इस विषय पर जिम्मेदार अधिकारी से बात की गई तो उनका कहना था कि आगे से ही तुलाई के नियम बने है। प्लेट कांटे पर तुलाई से उपज की सही गुणवत्ता का पता नहीं चलता है। हाथ कांटे पर एक-एक बोरी का वजन होने से उपज में मिलावट होने की आशंका नहीं रहती है। गौरतलब है कि सरकार ने इस साल समर्थन मूल्य पर किसानों से सोयबीन खरीदने का निर्णय लिया और प्रति क्विंटल 4892 रुपए दाम तय किए गए हैं। हालांकि किसानों सरकारी खरीदी में उत्साह कम ही दिखाया है। अगर बात करे तो जिले में लगभग ७० हजार किसान अपनी उपज बेचने के लिए पंजीयन कराते है लेकिन सोयाबीन को समर्थन मूल्य में बेचने के लिए जिले में २५ हजार किसानों ने अपनी उपज विक्रय के लिए पंजीयन कराया। समर्थन मूल्य पर सोयाबीन खरीदी के लिए जिले में २० केंद्र बनाए गए हैंै। सरकारी खरीदी के नियमों के चलते भी किसान अपनी उपज विक्रय में कम ही रुचि दिखा रहे हैं। अब तक जिले में बनाए गए केन्द्रों पर कुल १६५६ किसानों से ४८६८ मेट्रिक टन सोयाबीन की खरीदी की गई है। इनमें सबसे ज्यादा सेवा सहकारी समिति बैडयाकला में १८५ किसानों से ५५५१ क्वींटल सोयाबीन की खरीदी हुई तथा सेवा सहकारी समिति मर्यादित सोडलपुर में एक भी किसान उपज लेकर नहीं पहुंचा है। संख्या के अनुसार कम हुए पजीयन का एक कारण यह भी निकल कर आया कि पंजीयन पोर्टल खुलने और बंद होने के समय अधिकतर किसान सोयाबीन की कटाई के काम में व्यस्त थे। जिस कारण वह अपना पंजीयन नहीं करा सके।
१५ प्रतिशत तक की नमी पर खरीदी की मांग
किसानों तथा किसान संगठनों द्वारा बार-बार यह मांग की जा रही है सोयाबीन खरीदी में १२ प्रतिशत नमी को बदलकर १५ प्रतिशत नमी तक की सोयाबीन खरीदी की जाए। लेकिन राज्य सरकार द्वारा अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। जबकि महाराष्ट्र में १५ प्रतिशत तक की नमी वाली सोयाबीन भी खरीदी का आदेश जारी किया जा चुका है। देखना यह है कि मध्यप्रदेश सरकार इस पर कब निर्णय लेती है। दरअसल, केंद्र पर वैसे तो सोयाबीन ग्रेडिंग करके किसान ला रहे हैं, जिससे गुणवत्ता बेहतर नजर आ रही है। लेकिन पैरामीटर से उपज की नमी भी मापी जा रही हे। यदि सोयाबीन नमी युक्त है तो सुखाने के बाद ही उसकी खरीदी की जा रही है। इधर, समर्थन मूल्य पर किसानों द्वारा फसल नहीं बेचने का एक मुख्य कारण नकद भुगतान नहीं होना भी है। मंडी में किसानों को नकद भुगतान हो रहा है। इस वजह से किसान सोयाबीन बेचने के लिए मंडी का रुख कर रहे हैं। साथ ही पंजीयन पोर्टल को दोबारा खोलने की मांग की जा रही है। किसानों का कहना है कि बारिश के कारण किसान सोयाबीन की कटाई करने में व्यस्त थे जिस कारण कई किसान समय के अभाव में सोयाबीन का पंजीयन नहीं करा सके और उन्हें मजबुरी में अपनी उपज को मंडी में बेचना पड़ रहा है। जिसको ध्यान मे रखते हुए सरकार पंजीयन पोर्टल दुबारा खोलना चाहिए जिससे की जो किसान अपना पंजीयन नहीं करा सके वह कराले।
इनका कहना है…
सभी खरीदी केन्द्रों पर खरीदी चल रही है। प्लेट कांटे से तुलाई का आदेश नहीं है। छोटे इलेक्ट्रिक कांटे से बोरियों की तुलाई की जा रही है। बोरियों की तुलाई से उपज में मिलावट का अंदेशा नहीं रहता है। १५ प्रतिशत नमी तक की उपज खरीदने का अभी कोई आदेश नहीं है। १२ प्रतिशत तक नमी वाली सोयाबीन की खरीदी की जा रही है।
संजय यादव, उपसंचालक कृषि विभाग
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