अनोखा तीर, हरदा। आधुनिक युग में किसान अपने खेत में खड़ी फसलों में कीटों को नियंत्रण करने और उत्पादन बढ़ाने के लिए विभिन्न कंपनी की दवाईयां उपयोग कर रहे हैं। अगर इस पद्धति को नहीं सुधरा गया तो 2040 तक देश की आबादी के 30 प्रतिशत लोग कैंसर पीड़ित हो जाएंगे। अत: शिवशक्ति बायो गु्रप द्वारा गाँव-गाँव जाकर किसान संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें ग्राम सोमगांव में एक किसान संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें कृषि अधिकारी राधागोविंद शर्मा ने किसान भाईयों को बताया कि अपनी परम्परागत खेती से भटक कर रासायनिक खाद एवं उर्वरक की ओर चले गये है उसकी जानकारी देकर बताया जा रहा है कि जैविक खेती में ही किसान भाईयों का भविष्य सुरक्षित है तथा कम कीमत में जीवाणु भूमि की संरचना को सुधारते है। जैविक खाद एवं दवाईयों के प्रयोग से भूमि की उर्वक शक्ति बढ़ती है और किसान मित्र कीटों एवं जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है जो कि भूमि के लिये अति आवश्यक है। आज के बढते रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के प्रयोग से भूमि की स्थिति खराब होती जा रही है। जमीन में कार्बन की न्यूनतम मात्रा 0.9 प्रतिशत आवश्यक होती है, मिट्टी के 31 हजार सैंपलों में से 29 हजार में कार्बन की मात्रा 0.6 – 0.7 आई है , रासायनिक खादों का प्रयोग करके फसलों पर तो दुष्प्रभाव पड़ ही रहा है साथ ही मानव जीवन के लिये बहुत हानिकारक साबित हो रहा है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के प्रयोग से भूमि के उपर एक कठोर परत जम गई है जिससे उसकी उपजाऊ क्षमता में कमी आ रही है। इस अभियान में निरंतर कार्य कर रहे शिवानंद यादव और एरिया कृषि मित्र कामेश वर्मा और कृषि अधिकारी सुनील मीणा, प्रदीप अहिरवार ने किसानों को अवगत करा रहे है कि किसान बंधु कम लागत में अधिक पैदावार करके अपनी आर्थिक स्थिति तो सुधार ही सकते है। इसके लिए जीवाणु का खेती में महत्व बताकर साथ-साथ भूमि की उपजाऊ क्षमता को बढ़ाकर अपनी-अपनी मातृभूमि की रक्षा करके पर्यावरण प्रदूषण से बचा पायेगे। संगोष्ठी में उपस्थित सभी किसान भाई रामनिवास परमार, मिश्रीलाल, गोरेलाल, माखन परमार, सुरेश, करनसिंह सहित अन्य किसान भाईयों ने जैविक खेती करने का संकल्प लेते हुए प्रतिवर्ष एक से दो एकड़ रकबा जैविक खेती का प्रतिवर्ष बढ़ाने का वचन दिया है।
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