-भावी वैज्ञानिकों का छोटा संसार प्रांतीय विज्ञान मेला : भगवानदास सबनानी
अनोखा तीर, भोपाल। सरस्वती विद्या मंदिर उ.मा. विद्यालय कोटरा भोपाल में विद्या भारती मध्यभारत प्रांत द्वारा प्रांतीय विज्ञान मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें प्रांत के ग्वालियर, शिवपुरी, राजगढ़,भोपाल एवं नर्मदापुरम इन पांच विभागों के विज्ञान के विद्यार्थी प्रांतीय विज्ञान मेला आयोजन में सहभागिता कर रहे हैं। प्रांतीय विज्ञान मेला के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित भगवानदास सबनानी विधायक दक्षिण-पश्चिम विधानसभा भोपाल, अध्यक्ष के रूप में मोहनलाल गुप्त अध्यक्ष सरस्वती विद्या प्रतिष्ठान, विद्याभारती के प्रांतीय संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी, कार्यकारिणी सदस्य विवेक वर्मा मुरैना एवं प्रांतीय संयोजक साजेंद्र द्विवेदी उपस्थित रहे। विज्ञान मेला के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए भगवानदास सबनानी ने कहा कि सरस्वती शिशु मंदिर छात्रों की सर्वांगीण विकास के अवसर प्रदान करता है। प्रांतीय विज्ञान मेला के आयोजन के माध्यम से आज यहां प्रत्येक विद्यालय के चयनित छोटे-छोटे वैज्ञानिक इस कार्यक्रम में सम्मिलित हो रहे हैं। विज्ञान प्रतियोगिताएं छात्रों में वैज्ञानिक सोच का विकास करती हैं और यही सोच, यही प्रयोग उन्हें वैज्ञानिक बनने की ओर ले जाती है। यह छोटे-छोटे छात्र आगे जाकर के अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करते हुए हो सकता है नासा के वैज्ञानिक भी होंगे और यह भारत का नाम रोशन करेंगे, इसके लिए मैं हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई देता हूं। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में विद्या भारती के संगठन मंत्री निखिलेश महेश्वरी ने कहा कि हमारा देश भारत ज्ञान परंपरा में सदैव से ही विश्व गुरु रहा है। दुनिया का मार्गदर्शन करता चला आ रहा है, जब लोग जीवन जीना सीख रहे थे, तब भारत की चिकित्सा पद्धति, वैज्ञानिक पद्धति, दुनिया की सर्वश्रेष्ठ व्यवस्था थी। भारत के महान वैज्ञानिकों की हजारों वर्ष पहले विज्ञान की उपलब्धियां को पश्चिम के देशों ने अपने आविष्कार बता दिये। भारत विकसित और समृद्धशाली राष्ट्र रहा है। वास्कोडिगामा भारत के व्यावसायिक जहाज का पीछा करते-करते भारत आया लेकिन इतिहासकारों ने वास्कोडिगामा को श्रेष्ठ बताने के लिए इतिहास में लिखा गया कि भारत की खोज वास्कोडिगामा ने की। जबकि यह सच नहीं है। हमारे वेदों में यान संरचना निर्माण की पूरी टेक्नोलॉजी दी गई है, जिससे सिद्ध होता है कि वायुयान निर्माण की टेक्नोलॉजी हमारे देश में लाखों वर्ष पहले थी उच्च कोटि की निर्माण शैली रामसेतु जिसे नासा के वैज्ञानिकों ने भी उत्कृष्ट बताया है जो लाखों वर्ष पहले विकसित हो चुकी थी। भारत का इतिहास गौरवशाली सदैव रहा है और नया भारत पुन: दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए तैयार है। प्रांतीय विज्ञान मेला के संयोजक साजेंद्र द्विवेदी प्राचार्य बनखेड़ी ने बताया कि इस आयोजन में मध्य भारत प्रांत की 150 से अधिक विद्यालयों के लगभग 230 भैया बहिन एवं संरक्षक आचार्य दीदी भाग ले रहे हैं। यह आयोजन 28 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक किया जा रहा है। कार्यक्रम में अतिथियों का परिचय संस्था प्राचार्य कल्याण सिंह चंदेल ने कराया एवं स्वागत स्थानीय विद्यालय की समिति कोषाध्यक्ष आशीष कारोलिया, प्राचार्य दिनेश सिंह राठौड़ दीनदयाल कॉलोनी एवं राजेश गोस्वामी प्राचार्य शिवाजी नगर ने किया। कार्यक्रम का आभार पीयूष राठौड़ प्रांत सह-संयोजक ने किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन श्रीमती मीनू चंदेल ने किया। कार्यक्रम में अन्य प्रांतीय अधिकारी भी उपस्थित रहे।