किसान के माथे पर चिंता की लकीर, बारिश से सोयाबीन और मक्का की फसल में नुकसान


-खेतों में भरा पानी, पीली पड़ी सोयाबीन में फल नहीं, खराब हुई मक्का



लोकेश जाट, हरदा।
जिले के किसानो के लिए अब नई मुसीबत दिखाई दे रही है। लागातार बारिश से खेतों में पानी भर गया है। सोयाबीन की फसल पीली पड़ गई है। वहीं ज्यादातर क्षेत्रों में सोयाबीन ने जरूरत से ज्यादा ऊंचाई ले ली है। ज्यादा ऊंचाई के चलते फसल आड़ी पड़ गई है। जिस कारण सोयाबीन फसल की पैदावार में कमी का अंदेशा किसानों को सताने लगा है और क्षेत्र के किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है। वहीं मक्का फसल में भुट्टों की स्थिति भी खराब है। मक्का फसल में कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है। मौसम विभाग द्वारा अलगे कुछ दिनों तक बारिश का अलर्ट जारी किया हुआ है। किसानों की माने तो ऐसा ही मौसम कुछ दिन और रहा तो पूरी फसल ही चौपट हो जाएगी। लागत तक नहीं निकलेगी। फसल में फंगस लगने से पौधें में  पर्याप्त फलियां ही नहीं बन पाई। अधिकाशं किसानों के खेतों में फंगस अटैक के कारण पौधों में एक्का-दुक्का फलिया ही दिखाई दे रही है। सोयबीन फसल में एक एकड़  में लगभग १८ हजार रुपए तक की लागत किसान लगा चुका है। खराब हो रही फसल से लागत तक मिलना संभव नहीं है। जिन किसानों ने मक्का की फसल लगाई उनकी स्थिति भी यही बनी हुई है। मक्का में इल्ली का प्रकोप होने से फसल में काफी नुकसान हो गया है। फसल में हो रहे नुकसान को लेकर किसानों की मांग है कि जल्द से जल्द सर्वे किया जाकर किसानों को राहत दी जानी चाहिए।


सोयाबीन में पीला मौजक रोग
लागातार बारिश और मच्छरों के कारण सोयाबीन में पीला मौजक प्रकोप देखने को मिल रहा है। अधिकांश खेतों की फसल में पीला मौजक रोग लग गया है। खेतों में पानी भरा होने से फसल की जंडे सड़ने लगी है और कमजोर हो गई है। पौधे में एक-दो फलीया ही नजर आ रही है। इस कारण किसानों को सोयाबीन फसल में खासा नुकसान उठाना पड़ेगा।


प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ उठाएं किसान
जिले में खरीफ मौसम में मुख्यत: सोयाबीन, मक्का, अरहर एवं धान फसलों की बोनी कृषको द्वारा की गई है। उपसंचालक कृषि संजय यादव ने बताया कि जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ वर्ष 2024 में सोयाबीन, मक्का एवं धान फसल अधिसूचित है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अतिवृष्टि से जलभराव, ओलावृष्टि, आकाशीय बिजली इत्यादि से व्यक्तिगत फसल नुकसानी होने पर, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनान्तर्गत सर्वे के आधार पर कृषक को क्षतिपूर्ति दावा राशि देय है। इन प्राकृतिक आपदाओ से फसल क्षति होने की स्थिति में कृषक को 72 घंटे के अन्दर भारत सरकार के कृषि रक्षक पोर्टल हेल्पलाईन नम्बर 14447 या क्राप इश्योरेंस एप के माध्यम से शिकायत दर्ज कराना अनिवार्य है।
किसानों का कहना है…


सोयबीन की फसल लगभग खराब हो चुकी है। ज्यादा ऊंचाई से फसल आड़ी पड़ गई है। जिस कारण फलियों में बनने वाला दाना कमजोर रह गया है। वही पौधों में जो फलियां लगना चाहिए थी वह नहीं लग पाई है। इस कारण उत्पादन ना के बराबर होगा। मक्का के भी हालात यहीं है इल्ली का प्रकोप कम हो ही नहीं रहा है। खरीप फसल में लागत निकलना भी मुश्किल है। सरकार के द्वारा खराब फसल का सर्वे कराया जाना चाहिए।
रणवीर पटेल, किसान ग्राम गोगिया


सोयाबीन की फसल लगभग चौपट हो चुकी है। जिन किसानों ने पहले बोनी करी थी उनकी फसल अब सड़ने लगी है। वहीं अधिक्तर किसानों के खेत में पीला मौजक रोग लगने से फल ही नहीं आए है। इस बार लागत तक नहीं निकल रही है। एक एकड़  में १८ से २० हजार रुपए की लागत लगा चुके है। फसल खराब होने से उत्पादन कम होगा और लागत भी नहीं निकल पाएगी। सरकार को तुरंत खराब फसल को सर्वे कराकर बीमा लाभ दिलवाना चाहिए। जिससे की किसान को राहत मिल सके।
राजनारायण गौर, किसान एवं भाकिसं जिला प्रवक्ता


हम वर्तमान में कई क्षेत्रों भ्रमण कर रहे। अधिकतर किसानों के खेतों में पीला मौजक रोग लग चुका है। जल भराव से फसल खराब हो चुकी है। मक्का के भुट्टों में इल्ली का प्रकोप है। मक्का में अब किटनाशक का छिडकाव भी संभव नहीं है, क्योंकि इल्ली भुट्टे के अंदर बैठी है  उसमें छिडकाव कैसे किया जाएगा। फिर भी कुछ किसान पानी की बाटल में छेद करके एक-एक भुट्टों में किटनाशक का छिडकाव करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन इस तरह से कब तक छिडकाव किया जाएगा। क्षेत्र के किसान खराब हो रही फसल से चितिंत है। जल्द से जल्द सर्वे कराया जाना चाहिए। किसान को फसल मेें लागत भी नहीं मिल पाएगी।
मोहन विश्नोई , किसान कांग्रेस नेता

इनका कहना है…
सोयाबीन मे पीला मौजक जैसी शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। फसल की जरूरत से ज्यादा ऊचाई की समस्या लगभग सभी खेतों में है। इसका मुख्य कारण बीच में बारिश की गेप के कारण हाईट बड़ी है। निश्चित ही इससे उत्पादन में कमी आएगी। सोयाबीन का पीला पड़ना मुख्यत: जल भराव के कारण होता है। किसानों को जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। ज्यादा हैक्टर एरिया में नुकसान होने पर सर्वे कराया जाता है।
संजय यादव, कृषि उपसंचालक

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