अनोखा तीर के खबरीलाल नितेश गोयल की ऑफ द रिकॉर्ड चर्चा
वो देखो बलि का बकरा आ रहा है…
वर्षों पहले चोर और डाकूओं का आतंक था, जो सुनसान इलाका देखकर राहगीरों को लूट लेते थे। लेकिन अब जमाना इतना बदल गया है कि सुनसान इलाके नहीं बल्कि चौक-चौराहों पर लोग लूटने लगे है। लूट भी उन लोगों की ही हो रही है जो ग्रामीण परिवेश के और सीधे साधे और गरीब लोग है। हम कोई चोर डाकूओं द्वारा की जा रही लूट की बात नहीं कर रहे है बल्कि शहर में वाहन चेकिंग के नाम पर चल रही पुलिसिया लूट की बात कर रहे है। आजकल रोजाना कुछ ट्रॉफिक जवानों ने अपने साथ नगर सुरक्षा समिति के सदस्यों को मिलाकर लूट का यह धंधा प्रारंभ किया है। इनके जो टारगेट रहते है वह शहरी और अमीर व्यक्ति नहीं होते है बल्कि यह ऐसे लोगों को ही चेकिंग के नाम पर रोकते है जो बिल्कुल सीधे साधे और ग्रामीण परिवेश के दिखाई देते है। हम यह नहीं कहते कि पुलिस द्वारा वाहन चेकिंग नहीं की जाना चाहिए। चेकिंग होना चाहिए, लेकिन सही तरीके से चेकिंग होना चाहिए। चेकिंग दौरान या तो चालान बनाकर मोटी राशि वसूल की जा रही है या सीधे पुलिसकर्मी की जेब गरम हो रही है। यदि सही चेकिंग हो लोगों को चेकिंग के दौरान ट्राफिक नियमों का पालन कराया जाए और जिनके पास वाहनों तक के कागज नहीं है उनसे राशि न वसूल कर उन वाहनों को जप्ती की कार्रवाई की जाए तो कई चोरी के वाहन पकड़ में आ सकते है।
क्या है रूद्राक्ष का सच?
पिछले 10-12 दिनों से बाजार में रूद्राक्ष पर जमकर चर्चा चल रही है। जैसे रूम नं. 112 का सच उजागर हुआ था वैसे ही कोई सच रूद्राक्ष में भी उजागर हुआ है, लेकिन यह सच पूर्ण रुप से सामने नहीं आया है। लोग इसके बारे में तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे है। कोई इसे कोरी अफवाह बता रहे है तो कोई इसे प्रेम प्रसंग से जुड़ा मामला पकड़ाने की बात कर रहा है। हालांकि दावे से सच्चाई कोई भी उजागर नहीं कर पा रहा है, लेकिन यह कहने से भी नहीं चूक रहा है कि सबको मालूम है लेकिन सब बोलने से डर रहे है। लोग तो यहां तक कह रहे है कि इस मामले को उजागर नहीं होने देने के लिए लाखों रुपए का लेनदेन भी हुआ है।
क्या साइकिल चोरी अपराध नहीं?
चोरी एक रुपए की हो या एक हजार की चोरी तो चोरी होती है और इसे एक जघन्य अपराध ही कहा गया है। लेकिन हरदा कोतवाली में शायद साइकिल चोरी कोई अपराध नहीं है। बीते दिनों नगर में एक ही दिन में एक आरोपी द्वारा दो साइकिलों की चोरी को अंजाम दिया गया। दोनों ही चोरी की वारदात की जगह आरोपी सीसीटीवी कैमरे की जद में आ गया। जिसके यहां से साइकिल चोरी हुई थी उसने उस आरोपी को उसके घर से पकड़कर पुलिस थाने में बंद भी करवा दिया। वहां पर उपस्थित पुलिसकर्मियों ने यहां तक कहा कि यह आदतन चोरी का आरोपी है, अब तक लगभग 100-150 साइकिल शराब पीने के खर्चे के लिए चोरी करके बेच भी चुका है। पुलिस ने जिस एक व्यक्ति की साइकिल चोरी हुई थी उस व्यक्ति की साइकिल बरामद करवाकर उस आरोपी को दूसरे ही दिन छोड़ दिया, जबकि जो अन्य सैकड़ों साइकिलें उसके द्वारा चोरी की गई थी उसकी बरामदगी तक करना पुलिस ने मुनासिब नहीं समझा और ना ही उस पर साइकिल चोरी का कोई मामला दर्ज किया। देखने वाली बात यह है कि यदि पुलिस चाहती तो उस शराबी आरोपी के माध्यम से उस कबाड़ी को पकड़ सकती थी, जो इस व्यक्ति से औने पौने दामों पर साइकिल खरीद कर इस चोर को साइकिल चोरी के लिए प्रोत्साहित कर रहा था।
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