-हर अस्पताल में नहीं होता आयुष्मान से सभी बीमारियों का उपचार
अनोखा तीर, हरदा। केन्द्र सरकार द्वारा संचालित आयुष्मान भारत योजना वास्तव में कमजोर वर्ग के लिए एक वरदान है। आज भारत में लगभग ५० करोड़ से अधिक भारतीय इसका लाभ उठा रहे है। गरीब और असहाय वर्ग को बीमारी के दौरान उपचार लाभ हेतु अधिकतम पांच लाख रुपए का पेपरलेस कवर प्रदान करने वाली यह एक अनोखी योजना है। आयुष्मान कार्डधारक इस योजना का लाभ संपूर्ण भारत में कहीं भी संबंधित बीमारियों के लिए सूचीबद्ध शासकीय या अशासकीय अस्पताल में प्राप्त कर सकते है। लेकिन अधिकांश आयुष्मान कार्डधारकों को इसकी वास्तविक जानकारी न होने के कारण वह भ्रमित होते है और ऐसी स्थिति में संबंधित अस्पताल पर आरोप प्रत्यारोप लगाए जाने लगते है। उक्त आशय की जानकारी आज यहां बीएचआरसी गु्रप एवं रिलायबल सोशल वेल्फेयर सोसायटी द्वारा आयोजित एक पत्रकारवार्ता दौरान डॉ. विशाल बघेल ने दी। इस अवसर पर डॉक्टरों ने सीपीआर का डेमो देते हुए बताया कि किस तरह किस बीमारी के लिए मरीज आयुष्मान के माध्यम से उपचार लाभ प्राप्त कर सकता है। आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा अस्पताल में भर्ती होने से तथा भर्ती होने से पहले उपचार और अस्पताल में भर्ती होने के बाद के खर्चों को कवर करता है। लेकिन यह तभी संभव है जब संबंधित अस्पताल उस बीमारी के लिए आयुष्मान योजना के तहत अधिकृत हो जिससे संबंधित मरीज वहां उपचार के लिए आया है। चूंकि शासन द्वारा जिन अस्पतालों में जिस बीमारी के लिए विशेषज्ञ तथा आवश्यक संसाधन उपलब्ध होते है उन्हें ही सूची में शामिल किया जाता है और उसी के आधार पर वह अस्पताल आयुष्मान कार्ड के तहत उपचार कर सकती है। डॉ. बघेल ने कहा कि जैसे हमारे हरदा स्थित बघेल हास्पीटल में आयुष्मान योजना के अंतर्गत हड्डी संबंधी उपचार, ह्रदय रोग और स्त्री रोग के उपचार आयुष्मान योजना के तहत उपलब्ध है। अब हम आयुष्मान कार्डधारक को केवल इसी समस्या के तहत आयुष्मान का लाभ दे सकते है। लेकिन कार्डधारक इस भ्रम में होता है कि वह अस्पताल पहुंच गया और उसने अपना कार्ड दे दिया तो उसे सभी प्रकार का उपचार आयुष्मान योजना के तहत नि:शुल्क प्राप्त होना चाहिए। जबकि वास्तव में हर अस्पताल ऐसे उपचार के लिए अधिकृत नहीं होता है। इसी तरह हमारे भोपाल स्थित बघेल हास्पीटल एवं रिसर्च सेंटर में कैंसर रोग, ह्रदय रोग, किडनी, लीवर, स्पाईन ट्यूमर, पेट रोग संबंधी बीमारियों का आयुष्मान भारत जनआयोग योजना के अंतर्गत पांच लाख तक का इलाज मुहैया कराया जाता है। आयुष्मान को लेकर एक और भी भ्रांति लोगों में व्याप्त है कि अगर उसने आयुष्मान कार्ड बनवा लिया तो वह हमेशा के लिए उपयोगी साबित होगा। जबकि आयुष्मान कार्ड उसके गरीबी रेखा की सूची में शामिल होने के कारण तथा उसकी खाद्यान्न पात्रता पर्ची बनने उपरांत आधार कार्ड से लिंक होकर बनाया जाता है। अगर कार्डधारक द्वारा कार्ड बनवाने के उपरांत कोई लाभकारी व्यापार किया जाने लगे अथवा भूमि इत्यादि क्रय की गई हो तो उसका बिक्री पत्र भी आधार कार्ड के माध्यम से ही संपादित होता है। ऐसी स्थिति में वह व्यक्ति गरीबी रेखा की सूची से स्वत: ही अलग हो जाता है और आयुष्मान कार्ड की पात्रता सूची से भी उसका नाम हट जाता है। लेकिन व्यक्ति के पास आयुष्मान कार्ड मौजूद है तो वह इस भ्रम में होता है कि उसका उपचार तो उसके आयुष्मान कार्ड के माध्यम से नि:शुल्क होगा। जबकि अस्पताल संबंधित व्यक्ति के भर्ती होने पश्चात जब आयुष्मान योजना के तहत उसकी बीमारी का उपचार करने के लिए उसके आयुष्मान कार्ड के आधार पर शासन से स्वीकृति प्राप्त करने की प्रक्रिया करता है तो पता चलता है कि संबंधित व्यक्ति पात्रता सूची में शामिल ही नहीं है। ऐसी स्थिति में अस्पताल उसे आयुष्मान का लाभ देने से इंकार कर देता है और व्यक्ति जानकारी के अभाव में ही आरोप प्रत्यारोप लगाना शुरु कर देता है। भारत सरकार का उद्देश्य भी आर्थिक रुप से वंचित परिवारों को बीमारी के दौरान वित्तीय सहायता प्रदान करना ही है। जिसमें पीड़ितों की सुविधा को प्राथमिकता देते हुए सरकार ने सार्वजनिक शासकीय अस्पतालों के साथ ही निजी अस्पतालों में भी पेपरलेस और कैशलेस सुविधा का लाभ प्रदान करना शुरु किया है। इस दौरान बीएचआरसी के पीआरओ कीर्ति पाटनी ने आयुष्मान योजना का लाभ लेने के लिए लाभार्थी को आवश्यक दस्तावेजों संबंधी जानकारी तथा योजना के तहत मिलने वाले विभिन्न लाभों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिन परिवारों में १६ से ५९ वर्ष आयु तक का कोई सदस्य गरीबी रेखा सूची की पात्रता से अधिक आय अर्जित करने वाला न हो। योजना के तहत चिकित्सा जांच, उपचार एवं परामर्श, अस्पताल में भर्ती होने का खर्च, दवा एवं चिकित्सा उपयोग की वस्तुएं, आईसीयू सुविधा आदि के खर्च शामिल होते है। वहीं इस योजना में ग्रामीण और शहरी आयुष्मान कार्डधारकों की पात्रता के मापदंड भी अलग-अलग रखे गए है। जैसे ग्रामीण परिवारों में भूमिहीन परिवार के मुखिया का दिव्यांग होना, कच्चे मकान में रहना आदि है तो वहीं शहरी क्षेत्र में घरेलू काम करने वाले, कूड़ा उठाने वाले, फेरी लगाने वाले जैसे लोगों को शामिल किया गया है। लेकिन जिन लोगों के पास दोपहिया या चारपहिया वाहन है अथवा उसकी मासिक आय १० हजार से अधिक है या कृषि मशीनरी या उपकरण है, किसान क्रेडिट कार्ड या ५ एकड़ से अधिक कृषि भूमि है ऐसे विभिन्न श्रेणी के लोगों को पात्रता सूची से स्वत: ही हटा दिया जाता है। वहीं इस योजना के तहत पूरे परिवार को पांच लाख रुपए की बीमा राशि से कवर किया जाता है। कार्डधारकों को ऐसी ही जानकारियों का अभाव होने के कारण अक्सर वह परेशान होते है।
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