यदि हमने लक्ष्य नहीं बनाया तो संसार में ही भटकते रहेंगे : मसा


अनोखा तीर,  खिरकिया। श्री श्वेतांबर जैन मांगलिक भवन में विराजित पूज्य प्रशम प्रभा ने फरमाया कि आप स्वयं अपने को ज्यादा अच्छी तरह जानते हैं या दूसरे आपके बारे में ज्यादा अच्छी तरह जानते है। हम स्वयं से ज्यादा दूसरों की फितरत को पहचानते हैं।  आचारांग सूत्र में भगवान ने कहा कि मैं जीव हूं। यह श्रद्धा यह प्रतीति यह रूचि हर किसी को होनी चाहिए। जीव और शरीर भिन्न-भिन्न है। मरने पर शरीर और जीव का अलगाव होता है। जीव ना जलता है ना मरता है ना कटता है और नहीं नष्ट होता है। आज वैज्ञानिक कहते हैं कि हम चांद पर पहुंच गए हैं और जिनवाणी कहती है कि चांद पर जाना संभव नहीं है। वैज्ञानिक छदमस्त है उनके बताएं मत परिवर्तित होते रहते हैं पर आगमवाणी सर्वज्ञ की वाणी है। उसमें कभी फेर बदल नहीं होता है, उनके सिद्धांत पूर्व में भी वही थे वर्तमान में भी वही है और भविष्य में भी वही रहेंगे। पूज्य श्री शम प्रभा जी मसा ने फरमाया कि व्यक्ति अपनी जानें की मंजिल तय नहीं की है। यह जाने किधर भटकता रहेगा। हमारी स्थिति भी आज वही है। कर्म सत्ता ने हमें लक्ष्य रहित जानकर कर चार गति रूप प्लेटफार्म का टिकट दे दिया है यदि हमने भी लक्ष्य नहीं बनाया तो संसार में ही भटकते रहेंगे। भावना मन को बार-बार चिंतन में डुबाना भावना का दूसरा नाम दिया है अनुपेक्षा। जीव अनुपेक्षा करते-करते केवल ज्ञान प्राप्त कर लेता है।

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