ना सजी गरीब बेटियों के हाथों में मेंहदी, ना वृद्ध कर पाए तीर्थदर्शन

 

अनोखा तीर, हरदा। लोकसभा चुनाव में भाजपा को २९ में से २९ सीट मिलना यह सब संभव हुआ था तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री कन्यादान योजना, मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना, लाड़ली लक्ष्मी योजना और लाड़ली बहना योजना से। यह ऐसी योजनाएं थी जिसने भाजपा की चौथी बार प्रदेश में सरकार बनाई और लोकसभा चुनाव में जहां अन्य राज्यों में भाजपा का फिका प्रदर्शन रहा, वहीं प्रदेश में २९ में से २९ सीटें जीती। लेकिन प्रदेश में पहले विधानसभा चुनाव और इसके बाद लोकसभा चुनाव के चक्कर में पिछले एक साल से प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा चलाई जा रही जनकल्याणकारी योजनाएं ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। हरदा जिले की बात करें तो पिछले एक साल से ना तो जिले की गरीब बेटियों के हाथों में मेंहदी सजी है और ना ही वृद्धजन तीर्थदर्शन कर पाए है। जिले में अंतिम बार ४ जून २०२३ को चुनाव से पहले तात्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हवाई जहाज के माध्यम से जिले के २९ लोगों को प्रयागराज के दर्शन करवाए थे। इसके बाद चुनावी चक्कर और अधिकारियों की उदासीनता के कारण अब तक यह योजना पुन: प्रारंभ नहीं हो पाई है। इसी तरह मुख्यमंत्री कन्यादान योजना की बात करें तो मई २०२३ में मुख्यमंत्री विवाह निकाह योजना के अंतर्गत 8 जगह सामूहिक विवाह के माध्यम से ६३५ जोड़ों का विवाह करवाया गया था। इसके बाद मार्च २०२४ में एक सामाजिक संस्था की पहल पर कलेक्टर की अनुमति से १११ जोड़ों का निकाह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ था। एक वर्ष में मुख्यमंत्री कन्यादान योजना के तहत देखा जाए तो एक भी विवाह सम्पन्न नहीं हुआ। इस संबंध में जब जानकारी ली तो पता चला कि प्रभारी मंत्री के अनुमोदन के पश्चात जिले में प्रतिवर्ष कहां-कहां सामूहिक विवाह आयोजन सम्पन्न कराया जाना है इसका एक कैलेण्डर सामाजिक न्याय विभाग द्वारा बनाया जाता है। उसी के अनुसार सारे आयोजन सम्पन्न कराए जाते है। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद अभी तक जिले में प्रभारी मंत्री की नियुक्ति ही नहीं की गई है जिसके कारण अभी तक इस महत्वपूर्ण योजना का कार्यक्रम ही तय नहीं हो पाया है। देखने वाली बात यह है कि चुनावी आचार संहिता भी खत्म हो चुकी है। इसके बावजूद शासन प्रशासन द्वारा गरीबों की इस जनकल्याणकारी योजना पर जिला प्रशासन कोई रुचि नहीं दिखा रहा है। सूत्र यह भी बताते है कि पूर्व शिवराज सरकार द्वारा चलाई जा रही कई जनकल्याणकारी योजनाएं उनके जाने के बाद से ठंडे बस्ते में चली गई है। कई योजनाओं के लिए बजट का आवंटन ही जिले को प्राप्त नहीं हुआ है। अब देखने वाली बात यह होगी कि प्रदेश की नई सरकार किन-किन योजनाओं को चालू रखती है या धीरे-धीरे यह योजनाएं गुमनामी के अंधेरे में खो जाएगी।

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