केके यदुवंशी, सिवनी मालवा। मुख्यमंत्री मोहन यादव शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव और नई योजना ला रहे हैं। लेकिन उनकी योजनाओं को किस तरह से पलीता लगाया जा रहा है यह देखने को मिला है विधायक के गृह ग्राम में। मुखिया में बदलाव हो गया, दावों की हकीकत को लेकर नए तर्क गढ़े जाने लगे, लेकिन जमीन पर असर देखे तो ढाक के तीन पात। पहले भी जहां अफसरशाही के कथित दबाव में नेताजी रहते थे तो अब भी कोई खास अंतर नजर नहीं आ रहा। ऊपर से पार्टी और सरकार की मंशा है कि सरकारी योजनाओं का क्रियान्वयन जमीन पर हो, जनता तक उसका सही संदेश पहुंचे। लेकिन नेताजी अफसरशाही के भरोसे तो राजनीति चलती नहीं है, उसके लिए तो जमीनी कार्यकर्ताओं और जनता के बीच सतत संपर्क होना चाहिए। उम्मीद है कि बदलाव की बयार यहां तक भी जल्द पहुंचेगी।
अब बात करे स्कूल चले हम अभियान की तो सरकार चाहती थी कि तीन दिनों तक आयोजन हो। जिसमें स्कूली बच्चों और उनके पालकों तक सरकारी अमले की योजनाओं के बारे में जानकारी पहुंचे। लेकिन हकीकत यह है। पूरा कार्यक्रम औपचारिकता बनकर ना रह जाए इसकी चिंता ना तो सरकार के नुमाइंदो को ना ही बड़े नेताओं को, मुलाकात के लिए विख्यात विकास कार्यों पर चर्चा करने वाले नेताजी को, ना ही मंचों के शौकीन कई वरिष्ठ नेताओं को। जो हो रहा है उसे अफसरशाही के भरोसे छोड़े तो और आखिर में मंच पर स्थान मिलना ही उनके लिए पर्याप्त है। वर्तमान समय में यही सफल कार्यक्रम के आयोजन की नई परिभाषा गढ़ी गई लगती है।
स्कूल चलों अभियान के दौरान आयोजित कार्यक्रम में नेताओं को मंच मिल गया, स्वागत सत्कार तो गया। लेकिन इन सबके बीच देश के जिस भविष्य को संवारने के लिए कार्यक्रम आयोजित हो रहा है, उस भविष्य पर ना तो अफसरशाही का ध्यान गया ना ही नेताओं का। नेताजी मंच की कुर्सियों की शोभा बढ़ाने, फूलों के गुलदस्ते लेने और लच्छेदार भाषण देने में व्यस्त रहे तो कुछ लोग नेताओं से संबंध प्रगाढ़ दिखाने में। इन सबके बीच देश का भविष्य बेसहारा व असहज सा रहा। बेचारे को स्कूल की बेंच खाली रहने के बावजूद जमीन पर जो बैठा दिया गया तो अब वह किस तक अपनी पीड़ा या भावनाएं पहुंचाएं, तो सुनने और करने वाले सभी तो कुर्सियों पर थे।
भाजपा विधायक प्रेमशंकर वर्मा के गृहग्राम बघवाड़ा में स्कूल चले हम अभियान का शुभारंभ किया गया था। बढ़िया फोटोसेशन का दौर चला, विधायक जी का सम्मान हुआ, माल्यार्पण का दौर चला, शान में कसीदे पड़े गया, फिर आई विधायक जी की बारी तो अपने भाषण में जमाने भर की बाते तो विधायक ने कही। शासन की योजनाओं के बारे में दावे किए गए, लोगों को लाभ पहुंचाने की बात कही गई। हां, विधायक जी की नजर उनके सामने देश के उस उज्जवल भविष्य पर नहीं पहुंच पाई। जिसे उसकी औकात जमीन पर लाकर बताई गई, खाली पड़ी बैंचे इस भविष्य को देख मुस्कुराती रहीं।