अनोखा तीर, मसनगांव। प्रदेश में मानसून सक्रिय ना होने से किसानों की चिंता बढ़ गई है। मौसम विभाग के द्वारा केरल में समय से पहले मानसून आने की सूचना देने के बाद जिले के लोगों ने जल्दी मानसून आने की धारणा बना ली थी, जिसके लिए उन्होंने मूंग की फसल जैसे तैसे कटाकर अपने खेतों को तैयार किया, लेकिन मानसून की बेरुखी ने उन्हें चिंता में डाल दिया है। किसान भागीरथ पटेल ने बताया कि प्रदेश में 15 जून के आसपास मानसून सक्रिय हो जाता है, जिसके लिए खरीफ सीजन की फसल बुवाई की तैयारी किस करना शुरू कर देते हैं। इस वर्ष भी समय से पहले मानसून आने की सूचना होने पर किसानों ने खेतों को बखर कर रोटावेटर कर लिया है। कई किसानों ने सोयाबीन तथा मक्का की बिजाई का सीड ट्रीटमेंट कर बुआई के लिए तैयार कर रख लिया है, लेकिन मानसून का अता-पता न होने से किसानों को निराशा हाथ लग रही है। किसान 20 जून के आसपास खेतों की बुवाई करने के चक्कर में थे, इसके लिए उन्होंने लंबे समय पर आने वाली सोयाबीन की किस्म 2172, 2117, 1135 जैसी वैरायटी को प्राथमिकता दी है। लेकिन बारिश की खींच और मानसून की बेरुखी ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है।
कुछ किसानों ने प्री-मानसून में कर दी बोनी
जिले में कुछ किसानों ने प्री मानसून में ही फसल की बुवाई कर दी है। जो उगकर बाहर आ चुकी है। लेकिन बारिश का पानी न मिलने से प्रभावित होने की आशंका बनी हुई है। जहां खेतों में नमी अच्छी थी वहां बीज ने अंकुरण कर लिया है, लेकिन कई जगहों पर नमी नहीं होने से बीज खराब होने की आशंका बनी हुई है।
मक्का की बोनी हो सकती है प्रभावित
जिले में रबी खरीफ सीजन की बुवाई का समय 15 से 30 जून तक रहता है। इस बीच मानसूनी बरसात होने पर सोयाबीन की बोनी किसानों द्वारा की जाती है, लेकिन जिन किसानों के द्वारा मक्का की फसल लगाई जाती है वह लेट बोनी होने पर प्रभावित हो सकती है, क्योंकि मक्का की फसल को चार माह से अधिक का समय पकने में लगता है। इसके लिए किसान सोयाबीन फसल से 15 दिन पहले मक्का की बुवाई कर देते हैं। इस वर्ष भी कई किसान खेतों में मक्का फसल को प्राथमिकता दे रहे हैं। लेकिन बारिश न होने से फसल की बुवाई में देरी हो रही है। जिसे देखते हुए किसानों को अपना मन बदलना पड़ सकता है। किसानों का कहना है कि मक्का की फसल सोयाबीन की फसल से 15 दिन पहले लग जाती है , वह समय से कट जाती है। जिससे रबी सीजन की फसलो की बुआई वक्त पर हो जाती है, यदि मानसून में देरी होती है तो किसान मक्का की अपेक्षा सोयाबीन तथा उड़द की फसल को प्राथमिकता दे सकते हैं।
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