अनोखा तीर, हरदा। जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर तथा विश्नोई संत आश्रम नेमावर के संयुक्त तत्वावधान में पांच दिवसीय आवासीय शिविर का शुभारंभ नेमावर में बिश्नोई संत आश्रम में 29 मई से हुआ 2 जून तक निरंतर जारी रहेगा। शिविर को संबोधित करते हुए स्वामी कृष्णानद ने कहा कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उनतीस नियम सार्वभौमिक हैं और इनके पालन से पूरी मानवता का कल्याण होता हैं। इन नियमों से ही प्रकृति का संरक्षण हो सकता है और जब प्रकृति का संरक्षण होगा तो पूरी मानव जाति का कल्याण होगा। शिविर के प्रथम दिन प्रथम सत्र को संबोधित करते हुए घृतिका पंवार ने गुरु जम्भेश्वर के जीवन दर्शन के बारे में बताते हुए बाल्यकाल, पशुचारण काल, उपदेशकाल का वर्णन किया। पुलिस निरीक्षक पुरुषोत्तम बिश्नोई ने कहा कि आदमी के मन में अगर इच्छाशक्ति हैं तो वो कहीं पर भी अपने नियमों का पालन कर सकता हैं। जाम्भाणी साहित्य अकादमी के आरडी झुरिया ने बच्चों को शब्दवाणी के पालन पर जोर देते हुए कहा कि शब्दवाणी वेदों का सार हैं। जाम्भाणी साहित्य अकादमी बीकानेर के सचिव पूनमचंद पंवार ने आए हुए समस्त अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि ऐसे शिविरों के आयोजन से विद्यार्थियों में जीव दया, प्रकृति संरक्षण की भावना पैदा होगी, बीकानेर से पधारे अकादमी सदस्य डॉ.हरिराम बिश्नोई ने जाम्भाणी साहित्य अकादमी तथा स्थानीय संस्थाओं के सहयोग से आयोजित हो रहे पूरे भारत वर्ष के बाइस शिविरों के बारे में संक्षिप्त जानकारी प्रदान की। बीकानेर से पधारे व्याख्याता बुधाराम कड़वासरा ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि समय-समय पर ऐसे आयोजन होते रहेंगे तो गुरु जम्भेश्वर जी की शिक्षाओं का प्रचार प्रसार होगा। शिविर प्रभारी रामसुख बेनीवाल, सह प्रभारी अमृतलाल पुनिया, उमेश बेनीवाल, व्याख्याता सुरेश सियाग, डॉ.इंद्रपाल जाणी, किशन खिलेरी, मुन्ना गोदारा, श्रीजी, महेश बेनीवाल, लक्ष्मीनारायण लोल, विनोद गोदारा आदि ने संबोधित किया।
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