15 हजार से अधिक आदिवासियों पर दर्ज वन अपराध वापस होंगे

 

अनोखा तीर, भोपाल। राज्य सरकार पिछले 10 वर्षों में 15 हजार से अधिक आदिवासियों पर दर्ज वन अपराध वापस लेने जा रही है। इसके लिए सरकार ने वन विभाग को एक्शन प्लान बनाकर प्रकरणों का निराकरण करने के निर्देश दिए हैं। यही नहीं, जो प्रकरण न्यायालयों में विचाराधीन है, उन्हें तत्काल शासकीय अधिवक्ता के माध्यम से निराकरण कराने के लिए कहा गया है। पीसीसीएफ संरक्षण शाखा ने जारी निर्देशों में कहा है कि सभी डीएफओ आदिवासियों पर दर्ज किए गए वन अपराध प्रकरणों को शासन की मंशा के अनुरूप नियमानुसार त्वरित रूप से नस्तीबद्ध करने हेतु कार्यवाही करें। इसके अलावा, वन क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही भी की जाए। पीसीसीएफ संरक्षण शाखा ने कालातीत वन अपराध प्रकरणों की समीक्षा वनमंडल स्तर पर स्वयं वनमंडलाधिकारी निरंतर करते रहें। इसे अत्यंत गंभीरता से लिया जाए। मुख्य वनसंरक्षक भी समय-समय पर मासिक बैठक में इस बिन्दु समीक्षा कर यह सुनिश्चित करेंगे कि कोई प्रकरण कालातीत न हो। भारतीय वन अधिनियम 1927 में हुए नवीन संशोधनों का अध्ययन कर अधीनस्थ स्टाफ को अवगत कराया जाए। हालांकि 11 महीने पहले ही तत्कालीन प्रधान मुख्य वन संरक्षक संरक्षण डॉ.अजीत कुमार श्रीवास्तव ने एक्शन प्लान तैयार कर सीसीएफ और डीएफओ को भेज दिए थे। एक्शन प्लान में 3 माह में वन अधिनियम 1927 एवं वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 के अंतर्गत अनुसूचित जनजाति वर्ग के व्यक्तियों के विरुद्ध विगत 10 वर्षों में पंजीबद्ध प्रकरणों के निराकरण करने के निर्देश थे। मुख्य वन संरक्षक से लेकर डीएफओ तक ने पीसीसीएफ संरक्षण डॉ.अजीत श्रीवास्तव के निर्देश पर अमल नहीं किया। अब 11 महीने बीत जाने के बाद एक बार फिर संरक्षण शाखा ने आदिवासियों के दर्ज मुकदमे वापस लेने के निर्देश जारी किए हैं।

3852 आपराधिक प्रकरण है लंबित

संरक्षण शाखा से प्राप्त अधिकृत आंकड़े के मुताबिक विभाग के पास 3852 प्रकरण लंबित हैं। इनमें सबसे अधिक प्रकरण बुरहानपुर जिले के हंै। बुरहानपुर में अवैध अतिक्रमण करने से लेकर अवैध कटाई तक के मामले आदिवासियों पर दर्ज हैं। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि अतिक्रमण के अपराध को रोकने पर 10 वर्षों में कई डीएफओ बदले जा चुके हैं। कई मर्तबा वन विभाग के अधिकारियों एवं अफसरों की पिटाई भी हुई। अब चुनाव की बेला में आरोपियों पर दर्ज सभी अपराध सरकार वापस लेने जा रही है।

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