होलिका दहन से दूर रहेंगे विश्नोई पंथ के लोग

 

अनोखा तीर, हरदा। विश्नोई पंथ की परंपरा में होली का दिन प्रसन्नता का नहीं बल्कि शोक का माना जाता है। इस संबंध में मान्यता है कि इस दिन प्रहलाद को जलाकर मारने का उपक्रम किया गया था, जिसे परंपरा के रूप में अन्य जातियों द्वारा अग्नि प्रज्वलन करके निभाया जाता है। इसलिए यह प्रहलाद को मारने का उपक्रम विश्नोई पंथ के लिए शोक का दिन माना जाता है। मध्यक्षेत्र विश्नोई सभा के सचिव नीमगांव निवासी पूनमचंद पंवार विश्नोई ने बताया कि विश्नोई पंथ के साहित्य के अनुसार पूर्णिमा के दिन प्रहलाद द्वारा अग्नि से बच जाने पर कलश स्थापना करके प्रहलाद पंथ चलाया था। इस सतपंथ में तेतीस कोटि लोगों को पाहल पिलाकर विश्नोई बनाया था। इसी कारण विश्नोई पंथ का एक नाम प्रहलाद पंथ भी है। इस परंपरा का प्रतीकात्मक रूप से विश्नोई पंथ द्वारा पालन किया जाता है। पंथ के लोग सुबह गांव के एक निर्धारित स्थान पर बैठकर कलश स्थापना करके पाहल लेकर प्रहलाद वाचन करते हैं। यह पाहल लेना समस्त विश्नोइयों के लिए अनिवार्य है।

श्रीगुरु जभ्मेश्वर ने किया था 12 करोड़ जीवों का उद्धार  

सचिव पूनमचंद पवार ने बताया कि श्रीहरि विष्णु भगवान ने भक्त प्रह्लाद को वचन दिया था कि मैं कलयुग में श्रीजम्भेश्वर भगवान के रूप अवतार लेकर 12 करोड़ जीवों का उद्धार करूंगा। इसी प्रकार भगवान ने 17 लाख 28 हजार सतयुग प्रमाण सतयुग के पहरे में सोने का घाट, सोने का पाट, सोने का टका और सोने का कलश भक्त प्रह्लाद ने कलश स्थापित कर पांच करोड़ जीवों का उद्धार किया। इसी प्रकार आगे चलकर 12 लाख 96 हजार त्रेता युग प्रमाण त्रेता युग के पहरे में रूपे का घाट, रूपे का पाट, रूपे का कलश और सोने का टका राजा हरिश्चन्द्र ने क्लश स्थापित कर 7 करोड़ जीवों का उद्धार किया। इसी प्रकार 8 लाख 64 हजार द्वापर युग प्रमाण द्वापर के पहरे में तांबे का घाट, तांबे का पाट, तांबे का कलश और रूपे का टका राजा युधिष्ठिर ने कलश की स्थापना कर 9 करोड़ जीवों का उद्धार किया। इसी प्रकार 4 लाख 32 हजार कलयुग प्रमाण कलयुग के पहरे में माटी का घाट, माटी का पाट और माटी का कलश तांबे का टका अंत करोड़ के मुखी श्रीगुरु जम्भेश्वर भगवान ने कलश की स्थापना कर 12 करोड़ जीवों का उद्धार कर विश्नोई धर्म की स्थापना की।

नीमगांव मंदिर में जुटेंगे विश्नोई समाज के लोग

मध्य क्षेत्र विश्नोई सभा नीमगांव के सचिव पूनमचंद पवार ने बताया कि इस कड़ी में 25 मार्च को श्रीगुरु जम्भेश्वर विश्नोई मंदिर नीमगांव व आसपास गांवों में स्थित सभी विश्नोई मंदिरों में पाहल बनाने की परंपरा निभाई जाएगी। उन्होंने बताया कि नीमगांव स्थित श्रीगुरु जंभेश्वर मंदिर में 25 मार्च को सूर्योदय पश्चात संतश्री हनुमान दास महाराज द्वारा प्रहलाद चरित्र की कथा व हवन यज्ञ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मंदिर के प्रांगण में ज्यादा से ज्यादा संख्या में पहुंचकर भक्त प्रह्लाद कथा का श्रवण कर हवन यज्ञ में आहुति देकर पाहल का प्रसाद ग्रहण करें। उन्होंने समाज के लोगों से अपील की है कि अपने परिवार के सभी सदस्यों को अमृतमय पाहल ग्रहण करने के बाद ही भोजन प्रसाद आदि लें।

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