अनोखा तीर, भोपाल। संभवत: पहली बार ऐसा हुआ है कि लोकायुक्त की नियुक्ति में संसदीय परंपरा का पालन नहीं किया गया। राज्य सरकार ने लोकायुक्त के नियुक्ति के आदेश जारी कर दिए पर नेता प्रतिपक्ष से कोई सहमति नहीं ली गई। सरकार द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति हेतु अपनाई गई उक्त प्रक्रिया विधि संगत न होकर अवैध है। लोकायुक्त पद पर नियुक्ति के संबंध में आवश्यक शर्त मध्यप्रदेश लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1981 की धारा 3 (1) के परंतुक (क) में परिभाषित है। नेता-प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने बताया कि वे अब राज्यपाल को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराएंगे। नेता प्रतिपक्ष ने प्रेस को जारी अपने बयान में कहा है कि लोकायुक्त की नियुक्ति निश्चित रूप से जनहित का कार्य है। सरकार द्वारा एक नाम पर अपना अंतिम निर्णय लेकर लोकायुक्त नियुक्ति की अधिसूचना 9 मार्च 2024 को जारी कर दी गई है, जिसमें मुझ नेता प्रतिपक्ष से कोई परामर्श नहीं लिया गया है। सरकार द्वारा लोकायुक्त की नियुक्ति हेतु अपनाई गई उक्त प्रक्रिया विधि संगत न होकर अवैध है। राज्यपाल द्वारा लोकायुक्त पद पर नियुक्ति मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय और मुझ नेता प्रतिपक्ष से परामर्श लेने के उपरांत ही की जाना चाहिए। इसीलिए मेरे द्वारा सरकार को पत्र लिखकर यह अपील की है कि सरकार द्वाराविधि की प्रक्रिया का पालन किये बिना लोकायुक्त की नियुक्ति के संबंध में अवैध रूप से जारी अधिसूचना 9 मार्च 24 तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाए। नेता प्रतिपक्ष के रूप में सरकार द्वारा किए गए अवैध कार्य पर मेरी मौन स्वीकृति जनतंत्र एवं जनहित में नहीं होगी। नेता प्रतिपक्ष ने कहा है कि सरकार से मैंने यह भी अनुरोध किया है कि लोकायुक्त नियुक्ति की प्रक्रिया पुन: विधि अनुसार संपादित कर मेरे परामर्श उपरांत ही की जाए।
Views Today: 2
Total Views: 46