यूको बैंक गबन मामले में करोड़ों की हेराफेरी
बैंंक का गोल्ड प्राईवेट बैंक में रखा गिरवी, बाजार में ब्याज पर रुपए देते थे तीनों कर्मचारी
मृतक जितेंद्र राजपूत, कर्मचारी
संतोष दुबे, क्लर्क यूको बैंक
नितिन मालवीय, मैनेजर यूको बैंक
अनोखा तीर, हरदा। यूको बैंक की हरदा शाखा में अब तक ७५ लाख रुपए से अधिक के गबन का मामला सामने आ चुका है। लेकिन यह आंकड़ा करोड़ों में तब्दील हो सकता है। बैंक मैनेजर, क्लर्क और प्यून की इस तिकड़ी ने बैंक उपभोक्ताओं को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है। अनोखा तीर को प्राप्त जानकारी के अनुसार मैनेजर नितिन मालवीय, क्लर्क संतोष दुबे और २० नवंबर को बैंक में ही जहर पीकर जान देने वाले जितेंद्र राजपूत ने क्रेडिट लिमिट लोन के एवज में सेक्यूरिटी पर रखे चेकों का जहां लाखों रुपए का अपने परिवारजनों और अन्य लोगों के खातों में भुगतान करवा लिया। वहीं बैंक में ग्राहकों द्वारा रखे जाने वाले गोल्ड को भी बैंक से निकालकर दूसरे व्यक्ति के नाम से प्राईवेट बैंक में गिरवी रखकर लाखों रुपए की रकम निकाल ली। वर्तमान में अभी जो मामले का खुलासा हुआ है, उसमें अजयसिंह तोमर के सेक्यूरिटी के नाम पर रखे गए चेक के माध्यम से २५ लाख रुपए का भुगतान अपने रिश्तेदारों एवं अन्य लोगों के खाते में कराने का मामला सामने आया है। वहीं आयूष शर्मा और भूपेश शर्मा के खातों से भी २५ लाख रुपए का गबन किया गया है। वहीं एक मामला तजपुरा के एक किसान का भी इस मामले के खुलासा होने के बाद सामने आया है। पूर्व में तजपुरा के अर्जुनसिंह राजपूत के खाते से भी इन कर्मचारियों ने 4 लाख रुपए निकाल लिए थे। लेकिन जब इस संबंध में मोबाईल पर अर्जुनसिंह राजपूत को मैसेज आया तो उन्होंने तत्काल बैंक पहुंचकर इस मामले की जानकारी हासिल की और थाने जाकर इस मामले की शिकायत करने की बात कही तब इन कर्मचारियों ने उस किसान के खाते में वापस राशि जमा कराई। अजय तोमर के खाते से जो राशि निकाली गई वह मृतक जितेंद्र के भाई नरेंद्र राजपूत के खाते में ४ लाख ६३ हजार और भाभी किरण राजपूत के खाते में ५ लाख ७ हजार रुपए जमा करवाए गए। वहीं कर्मचारी संतोष दुबे ने शिल्पा दुबे के नाम पर ५ लाख ३० हजार रुपए जमा करवाए। वहीं मैनेजर ने शिवदास गुर्जर के नाम पर २ लाख ५३ हजार और प्रीतम गुर्जर के खाते में २ लाख ४७ हजार रुपए जमा करवाए। इन तीनों ही आरोपियों ने ५ लाख रुपए नगद भी निकाल लिए। सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इस बैंक के ऊपर जो होटल है, उसके सफाईकर्मी संदीप के खाते में भी १३ लाख रुपए ट्रांसफर करवाकर उसे निकाला गया। जानकारी यह भी मिली है कि सफाईकर्मी संदीप पशुपालन के लिए २ लाख रुपए का ऋण बैंक से लेना चाहता था। तब इन कर्मचारियों ने उसे बरगलाया कि तुम्हारे खाते में जब तक लाखों का ट्रांजेक्शन नहीं होगा, तब तक तुम्हे बैंक लोन नहीं देगी। हम तुम्हारे खाते में ट्रांजेक्शन कर देंगे, तुम हमे चेक दे दो। इस तरह उस सफाईकर्मी को फंसाकर इन तीनों कर्मचारियों ने उसके खाते को माध्यम बनाकर लाखों का गबन किया।
नवंबर में ही हो सकता था मामले का खुलासा
बैंककर्मी जितेंद्र राजपूत ने बैंक में ही २० नवंबर को जहर खाकर जान दे दी थी। जहर खाने से पहले मृतक जितेंद्र ने एक वीडियो अपने मोबाईल पर बनाया था। जिसमें उसने ६० लाख रुपए बैंक मैनेजर और संतोष दुबे के माध्यम से अन्य लोगों को दिए जाने और उनके द्वारा वापस न किए जाने की बात कही थी। इस वीडियों की जानकारी बैंक प्रबंधन से लेकर पुलिस एवं जितेंद्र के परिवारजनों को भी थी। लेकिन बैंक प्रबंधन और अन्य आरोपियों ने इस मामले को दबाने के लिए भरकस प्रयास किए। इसलिए कहा जा सकता है कि पुलिस से लेकर बैंक के आला अधिकारी तक सब कुछ जान बूझकर इस मामले को दबाने का प्रयास कर रहे थे। सूत्रों से तो यह भी ज्ञात हुआ है कि इन लोगों द्वारा कई लोगों को पैसा वापस भी किया गया है। इस मामले में एक नमकीन वाले का नाम भी सामने आ रहा है। जिसे इन तीनों कर्मचारियों ने मोटे ब्याज पर लाखों रुपए लोगों के खातों से निकालकर दिए थे। वह व्यक्ति इनका पैसा लेकर भाग गया। जिसके कारण जितेंद्र को अपनी जान देनी पड़ी।