एनीमिया:5 वर्ष तक की उम्र के 72 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से पीड़ित फिर भी प्रदेश में जांच के लिए डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर तक नहीं

अनोखा तीर इंदौर:-एनीमिया  मध्य प्रदेश में स्वास्थ विभाग सिर्फ कागजों पर योजनाओं का क्रियान्वयन और आम आदमी को उसका लाभ मिलते दिखाता है मैदानी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने बीते महीनों में यह आदेश जारी किया था कि छह माह से 60 माह तक के बच्चों, पांच से 10 वर्ष के बच्चों और गर्भवती महिलाओं की डिजिटल हीमोग्लोबिनोमीटर द्वारा एनीमिया की जांच कर, उन्हें शीघ्र इलाज दिया जाए।

सभी एएनएम कार्यकर्ताओं को यह मीटर दिए जाने थे ताकि वह घर-घर जाकर मरीजों की पहचान कर सके। लेकिन एएनएम कार्यकर्ताओं को अभी तक यह मीटर भी विभाग उपलब्ध नहीं करवा पाया है। जांच और वास्तविक डाटा के आधार पर बच्चों और महिलाओं का इलाज तो दूर की बात है।

 

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के मुताबिक प्रदेश में लगभग 72 प्रतिशत पांच वर्ष तक की आयु के बच्चे, 58 प्रतिशत किशोर बालिकाएं(15 से 19 वर्ष) एवं 31 प्रतिशत किशोरवय बालक एनीमिया से ग्रसित है। विगत 10 वर्षो में मध्य प्रदेश में अधिकांश आयु वर्ग में एनीमिया के प्रतिशत की मात्रा में अत्यंत कम गिरावट आई है। स्थिति की गंभीरता देखकर शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग, आदिम जाति कल्याण विभाग को अलग-अलग जिम्मेदारी सौंपी गई है।
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साथ ही इसकी हर माह की रिपोर्ट भी जिले के अधिकारियों को देना है। लेकिन महीनों बाद भी कार्ययोजना ही तैयार नहीं हो सकी है। सीएमएचओ डा. बीएस सैत्या बताते हैं कि इंदौर जैसे जिलों में तो अधिकांश एएनएम कार्यकर्ताओ के पास हीमोग्लोबिनोमीटर है। यहां जांच हो भी रही है लेकिन बाकि जगहों की स्थिति की पड़ताल करना होगी।
रोकथाम पर विभाग नहीं दे रहा ध्यान
आदेश के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग को प्रदेश में एनीमिया के लिए लोगों को जागरूक करना है, लेकिन इसके बाद भी ऐसा कोई आयोजन नहीं हो रहा है। प्रदेश के सभी आंगनबाड़ी केंद्र, शासकीय स्कूल, 89 अनुसूचित जनजाति बाहुल्य विकासखंडों में एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के तहत कार्य करना है। लेकिन अभी तक यह निर्देश भी नहीं पहुंच पाए हैं।
किस विभाग की क्या जिम्मेदारी
शिक्षा विभाग-
 एनीमिया मुक्त भारत कार्यक्रम के अंतर्गत एनीमिया तथा पोषण विषय को प्रशिक्षण माड्यूल में समावेशित रखना । – पोषण एवं स्वास्थ्य शिक्षा सत्रों का आयोजन करना, ताकि एनीमिया के मामलों में कमी ला सकें।
 स्कूलों में आइएफए गुलाबी एवं नीली गोलियां की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित कराना।

महिला एवं बाल विकास विभाग
– आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण स्वास्थ्य शिक्षा सत्रों का आयोजन किया जाना।
– आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं द्वारा ग्राम के समस्त बच्चों की नामजद जानकारी पंजीकृत की जाना।

आदिम जाति कल्याण विभाग
– एनीमिया के अनुवांशिक कारणों तथा फ्लोरोसिस पर जागरूकता जगाने के लिए प्रचार।
– समस्य आदिवासी छात्रावासों में पंजीकृत हितग्राहियों की हर मंगलवार आइएफए अनुपूरण सुनिश्चित करना।

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