मध्य प्रदेश में आदिवासियों पर भाजपा-कांग्रेस का फोकस, नरेन्द्र मोदी के बाद राहुल गांधी करेंगे सभा
शहडोल और बैतूल में भाजपा तो धार, खरगोन और मंडला में कांग्रेस आगे, रतलाम में बराबरी की स्थिति।
अनोखा तीर भोपाल:-मध्य प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस, दोनो का फोकस आदिवासियों पर है। 29 में से छह लोकसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए सुरक्षित हैं। भाजपा जहां इन सभी सीटों पर अपना कब्जा बनाए रखने के प्रयास में है तो कांग्रेस विधानसभा चुनाव 2023 के परिणाम की रोशनी में तैयारी कर रही है।
दरअसल, शहडोल और बैतूल में भाजपा तो धार, खरगोन और मंडला लोकसभा क्षेत्र में आने वाली विधानसभा की सुरक्षित सीटों में कांग्रेस आगे रही है। जबकि, रतलाम में बराबरी की स्थिति है। भाजपा ने 11 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का झाबुआ में कार्यक्रम प्रस्तावित किया है, जो रतलाम संसदीय क्षेत्र में आता है। वहीं, राहुल गांधी भी रतलाम या झाबुआ में आदिवासी न्याय सभा करेंगे। यह मार्च के दूसरे सप्ताह में प्रस्तावित है।
प्रदेश में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए 47 विधानसभा क्षेत्र सुरक्षित हैं। इनमें से सात सीटें रतलाम संसदीय क्षेत्र में आती हैं। इनमें से भाजपा और कांग्रेस ने तीन-तीन तो एक सीट भारत आदिवासी पार्टी ने जीती। चुनाव अभियान का रोडमैप तय करने के लिए शनिवार को भोपाल में हुई बैठक में निर्धारित किया गया कि 11 फरवरी को झाबुआ के किसी आदिवासी गांव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की पहली चुनावी सभा होगी।
इसके बाद मार्च में राहुल गांधी भारत जोड़ो न्याय यात्रा के अंतर्गत रतलाम संसदीय क्षेत्र में आदिवासी न्याय सभा को संबोधित करेंगे। इसके लिए झाबुआ और रतलाम में से कोई एक स्थान तय होगा। पार्टी ने इसकी तैयारी प्रारंभ कर दी है। दरअसल, आदिवासी मतदाताओं का साथ भाजपा और कांग्रेस, दोनों के लिए आवश्यक है।
विधानसभा चुनाव में आदिवासी मतदाताओं ने किसी भी दल को एकतरफा मतदान नहीं किया था। भाजपा 47 में से 26 सीटें जीती थी तो कांग्रेस काे भी 22 सीटें मिलीं। धार की पांच में से चार, खरगोन की पांच में से चार और मंडला की अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित पांच में से चार सीट कांग्रेस ने जीतकर बढ़त बनाई।
जबकि, भाजपा शहडोल की सात में से छह और बैतूल की चार में से तीन सीट जीतकर आगे रही है। यही कारण है कि भाजपा और कांग्रेस का फोकस आदिवासी मतदाताओं पर है। दोनों ही दलों के नेता आदिवासी मतदाताओं को साधने के प्रयास में जुटे हैं। हालांकि, भाजपा इसमें आगे नजर आती है।
कमजोर मतदान केंद्रों पर बूथ सशक्तीकरण के लिए कार्यकर्ता घर-घर संपर्क करने जा रहे हैं तो गांव चलो अभियान में भी इन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।उधर, कांग्रेस ने भी लोकसभा सीटें चिन्हित करकेके विधानसभा सम्मेलन के साथ अपने पक्ष में मतदान बढ़ाने पर काम प्रारंभ कर दिया है।