यह बात गलत है….
फोटो 25
केप्शन : आप जो यह तस्वीर देख रहे हैं, वह मुख्यालय स्थित शासकीय जिला अस्पताल का नजारा है। जहां गंभीर तथा हाईप्रोफाइल केस को छोड़कर बाकी लोगों को असुविधाओं से दो-चार करना पड़ता है। खासकर मरीजों को ओपीडी से पलंग तक लाने एवं ले जाने में स्वंयसवेक की भूमिका में दिखाई पड़ते हैं। वे खुद स्ट्रेचर को धकेलकर ले जाते हुए नजर आ जाएंगे, जो अनुचित होने के साथ साथ मरीज को जाखिम में डालने के बराबर है। बावजूद , अस्पताल में ये सब आम है। कई दफा लोगों की आंखों के सामने से यह नजारा गुजर चुका है। इस संबंध में जागरूक नागरिकों का कहना है कि अस्पताल में दूरदराज ग्रामों से पहुंचने वाले गरीब वर्ग के लोगों को जानकारी के अभाव में परेशानियों से जूझना पड़ता है। इस दौरान कोई भी उनकी तकलीफ को भांप नही पाता और ना ही भांपने में दिलचस्पी में रखता है। इन सबके बीच पर्ची काउंटर से लेकर अन्य आवश्यक जानकारी जुटाने यहां-वहां घूमते हैं। उन्होंनें कहा कि इसे निजात दिलाने अस्पताल के मुख्यद्वार पर गाइडेंस की दरकार है, ताकि असाक्षर व्यक्ति भी बगैर समय गंवाये इलाज की प्रक्रिया को पूरा कर सके। वहीं एक ही स्थान पर तमाम सुविधाओं मुहैया कराई जा सकेंगी। फिलहाल व्यवस्था के अभाव में गरीबों की पीड़ा देख लोग बोल पड़ते हैं, कि यह बात गलत है।
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