उफ ! ये मौसम की मार …. चने की फसल में तीसरी बहार से बंधी आस

 

 

इस साल रबी सीजन में जहां चना का रिकार्ड रकबा दर्ज हुआ है, किंतु मौसम बेरूखी ने सारा खेल बिगाड़ रखा है। जिसके चलते किसानों की चिंता लाजमी है। हालांकि, हालात पर काबू पाने की दिशा में किसान पीछे नही है। धुंध एवं सर्द हवाओं के बीच चने कीसेहत पर जोर दे रहे हैं। बता दें कि जिले में रबी सीजन वर्ष २०२४ में ९० हजार हेक्टेयर से अधिक रकबे में बोया गया है।

 

अनोखा तीर, हरदा। इस साल क्षेत्र में चना की फसल संघर्ष की राह पर है। क्योंकि, शुरूआती दौर में बूंदाबांदी उसके बाद रिमझिम बारिश के कारण फसल पर चिंता के बादल छा गये थे। हालांकि, कुछ दिन बाद मौसम बहाल हुआ। वहीं किसानों ने कीटप्रकोप से बचाव का सुरक्षा घेरा तैयार करने के साथ साथ चने की सेहत पर खास फोकस रखा। परिणामस्वरूप फसल स्वस्थ होकर अगली प्रक्रिया की तरफ बढ़ी। इस बीच सबकुछ ठीक रहा। परंतु चने में फूल का समय गुजरने के बाद भी उनकी पर्याप्त संख्या नही दिखी तो अगली बहार पर नजर टिकी थी। लेकिन पहले की तरह दूसरी बाहर में भी किसानों को सार्थक परिणाम नही मिले। अब चना अपनी उम्र के 70 से 75 दिन पूरे कर चुका है। ऐसे में तीसरी यानि अंतिम बहार से किसानों को खासी आस है। क्योंकि फसल में दूसरी और तीसरी बहार का जो प्रतिफल है, वही मेहनत का सार है। उधर, कृषि विशेषज्ञों के दल अलग-अलग क्षेत्रों में लगातार भ्रमण कर रहे हैं। इस दौरान किसानों की फसल को देखने के साथ ही उन्हें उचित सलाह मुहैया करा रहे हैं। दरअसल, क्षेत्र में २० अक्टूबर से 10 नवम्बर के बीच अधिकांश रकबे में चना की बुआई हुई है। हालांकि इसके बाद भी बड़े रकबे में चना बोया गया है। देखते ही देखते चने ने गेहूॅ की फसल को पछाड़ दिया। जबकि क्षेत्र में गेहूं की फसल सालों से शीर्ष पर रही है। परंतु इस साल करीब १० से १२ हजार हेक्टेयर पीछे है। जानकारी के अनुसार रबी सीजन वर्ष २०२४ में यहां चने का रिकार्ड रकबा दर्ज हुआ है, किंतु मौसम के बदले-बदले तेवरों की वजह से किसानों की उम्मीदों पर गहरा असर दिखने लगा है। क्षेत्र के अनेक किसानों की चिंता लाजमी है।

चने पर दांव, फिर भरसक मेहनत

गौरतलब है कि मौसम की बेरूखी से निपटने किसानों ने कोई कसर नही छोड़ी है। कीट प्रबंधन से लेकर चने की बेहतर सेहत को लेकर प्रयासरत है। इसी कड़ी में महंगी दवाओं का छीड़काव तथा निंदाई-गुढ़ाई पर भी खर्च किया है। वहीं अब भी उसकी सेहत की निरंतर निगरानी कर रहे हैं।

कहीं संतोष तो कहीं चिंता के हालात

इन सबके बीच चना की फसल पर दांव लगाने वाले किसानों में कहीं-कहीं फिलहाल संतोष तो कहीं चिंता के हालात हैं। खासकर जलभराव एवं हल्की जमीन में फसल पर बुरा प्रभाव देखने को मिल रहा है। इसके अलावा अत्यधिक नमी तथा मौसम की मार भी चने के प्रतिकूल है।

 

उधर, गेहूॅ में आखिरी पानी की तैयारी

किसानों के मुताबिक गेहूॅ की फसल में आखिरी पानी का समय नजदीक आ गया है, जो जनवरी के अंतिम सप्ताह में पूर्ण हो जाएगा। इससे पहले किसान गेहूॅ के पौधे की मजबूती तथा उसकी बालियों में ओर ग्रोथ लाने के लिये रासायनिक फार्मूले का इस्तेमाल भी करेंगे, ताकि गेहूॅ का बेहतर उत्पादन लिया जा सके।

 

फेक्ट फाइल….

कुल रकबा — १९१.५७५ हेक्टेयर

गेहूॅ का रकबा — ९० हजार हेक्टेयर

चने का रकबा — ९६ हजार हेक्टेयर

मक्का — १५ हजार हेक्टेयर

मटर — ५० एकड़

सरसों — ४ हजार हेक्टेयर

Views Today: 4

Total Views: 18

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!