दिव्‍यांगता की जांंच किए बगैर दी गई थी शिक्षकों को नियुक्ति, संकुल प्राचार्यों ने ली आपत्ति तो हुई कार्रवाई

अनोखा तीर उज्जैन। फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र लगाकर उज्जैन के सरकारी स्कूलों में नियुक्ति पाए जिन शिक्षकों की नियुक्ति निरस्‍त की गई है, उनकी दिव्‍यांगता की जांच ही नहीं हुई थी। दरअसल, लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा पूर्व में ही आदेश जारी किए जा चुके हैं कि नियुक्ति देने से पहले जिला शिक्षा अधिकारी को मेडिकल बोर्ड से अभ्यर्थी की जांच करवाना होगी और प्रमाण-पत्र सत्यापित करना होगाा,लेकिन इसमें ऐसा नहीं किया गया। वहीं अब संकुल प्राचार्यों की आपत्ति के बाद डीईओ ने कार्रवाई की है।

गौरतलब है कि तीन शिक्षकों की नियुक्ति जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा ने निरस्त कर दी है। इनके नाम गौरव ब्रह्मस्वरूप पाराशर, अनिल सरनाम शर्मा और अशोक पदमचंद्र जैन हैं। प्रकरण की मजेदार बाद ये है कि नियुक्ति भी आनंद शर्मा ने ही की थी। वो तो भला हों संकुल प्राचार्यों का जिन्होंने संचालनालय के आदेश का हवाला देकर नियुक्ति पर आपत्तियां ली, बावजूद आपत्ति का निराकरण करने में जिला शिक्षा अधिकारी ने चार माह लगा दिए।

अगस्‍त 2023 में हुई थी नियुक्ति

प्रकरण में भारी लेन-देने होने की चर्चा है। प्रश्न ये भी है कि इतना संगीन अपराध होने पर शिक्षक या अधिकारी के खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज नहीं कराई गई। नियुक्ति निरस्त करने को लेकर जारी पत्र के अनुसार भिंड के रहने वाले गौरव ब्रह्मस्वरूप पाराशर की नियुक्ति उज्जैन के शासकीय प्राथमिक विद्यालय दूधतलाई में, भिंड के अशोक पदमचंद्र जैन की नियुक्ति उज्जैन के शासकीय बालक प्राथमिक विद्यालय रौहलखुर्द में और ग्वालियर के रहने वाले अनिल सरनाम शर्मा की नियुक्ति शासकीय प्राथमिक विद्यालय पाडल्याखेड़ी में 10 अगस्त 2023 को की गई थी।

नियम अनुसार से शासन के आदेशानुसार नियुक्ति देने से पहले जिला मेडिकल बोर्ड से इन अभ्यर्थियों की जांच करवाकर प्रमाण पत्र का सत्यापन कराया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। प्रकरण जब संकुल प्राचार्यों के पाले में आया तो उन्होंने संचालनालय के आदेश का हवाला देकर नियुक्ति देने में आपत्ति ली। इस पर जिला शिक्षा अधिकारी ने संबंधित शिक्षकों को मेडिकल बोर्ड से जांच कराने के निर्देश दिए।

सत्‍यापन के लिए नहीं पहुंचे शिक्षक

निर्देश के पालन में दिव्यांगता की जांच कराने के लिए गौरव जिला चिकित्सा बोर्ड यानी सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक के समक्ष 5 अक्टूबर 2023 को उपस्थित हुए। स्वास्थ्य परीक्षण का प्रमाण-पत्र 6 अक्टूबर को पाराशर ने जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में जमा कराया। 11 नवंबर को इस प्रमाण-पत्र का सत्यापन कार्यालय रिकार्ड में उपलब्ध प्रमाण पत्र से किया तो भिन्नता पाई गई।

पाराशर को सुनवाई के लिए 1 दिसंबर को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय बुलाया पर वे नहीं आए। 7 दिसंबर को आए पर दिव्यांगता के संबंध में कोई प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं किया। इससे स्पष्ट हुआ कि कूटरचित दिव्यांगता प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्ति प्राप्त की है। इस आधार पर गौरव पाराशर की नियुक्ति तत्काल प्रभाव से निरस्त की है। इसी प्रकार कूटरचित दस्तावेज प्रस्तुत करने पर अनिल सरनाम शर्मा और अशोक पदमचंद्र जैन की नियुक्ति भी निरस्त की।

कार्यभार ग्रहण न करने पर तीन अन्य शिक्षकों की नियुक्ति भी निरस्त

जिला शिक्षा अधिकारी ने शासकीय प्राथमिक विद्यालय मोहनपुरा में प्राथमिक शिक्षक पद पर नियुक्ति दीपक जगदीश शर्मा, शासकीय प्राथमिक विद्यालय पंडित दीनदयाल मोतीनगर में नियुक्त रमेश जीयालाल दिवाड़े, प्राथमिक विद्यालय पिपल्याधूमा में नियुक्त दीपक रमाकांत शुक्ला की नियुक्ति भी निरस्त की है। इन तीनों ने भी दिव्यांग श्रेणी में नियुक्ति पाई थी लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मेडिकल बोर्ड से जांच कराकर प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने के आदेश के बाद न जांच कराई ना प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया। उल्टा स्कूल में पदभार भी ग्रहण न किया।

फर्जी दिव्यांग प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर अभ्यर्थियों ने स्कूल में नियुक्ति पाई थी। प्रकरण संज्ञान में आने पर जांच कराई और दोषियों का नियुक्ति आदेश निरस्त किया। प्रकरण में विधि सम्मत कार्रवाई करने के लिए संकुल प्राचार्यों को पत्र लिखा है। -आनंद शर्मा, जिला शिक्षा अधिकारी

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