तीन साल बाद मुख्य परीक्षाओं में नकल प्रकरण घटे, बीए में सबसे अधिक नकलची छात्र

 अनोखा तीर इंदौर। देवी अहिल्या विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षाओं में अब नकल कम होने लगी है। जनवरी से दिसंबर 2023 के बीच 800 नकल प्रकरण बने है। इन आंकड़ों की तुलना पिछले तीन साल के नकल प्रकरण से करें तो ये 30 फीसद घट चुके हैं। मगर नकल समिति ने चौंकाने वाली बात कही है। उनका दावा है कि भले ही प्रकरण कम हो चुके हैं, लेकिन नकल का स्तर काफी बढ़ा चुका है

पहले विद्यार्थी रोलनंबर के पीछे और हाथ से लिखी पर्ची परीक्षा कक्ष में लेकर पहुंचते थे। पर इन दिनों नकलची छात्र-छात्राओं के पास पूरी किताब व गाइड मिल रही है। अधिकारियों के मुताबिक सबसे अधिक नकलची विद्यार्थी बीए पाठ्यक्रम में सामने आए हैं।
दरअसल कोरोना संक्रमण की वजह से कालेजों में कक्षाएं नहीं लगी, विद्यार्थियों को आनलाइन पढ़ाना पड़ा। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई का स्तर नीचे आने लगा। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि परीक्षाओं के दिनों में सबसे ज्यादा नकल करते विद्यार्थी पकड़ाए थे। 2020-21 में 1341, 2021-22 में 1291 और 2022-23 में 1195 प्रकरण बने थे। इन मामलों में नकल सामग्री मिली थी,
जिसमें गाइड और किताबों के पन्ने फाड़ रखे थे।
यह आंकड़ा अब घटने लगा है, जिसमें सालभर में 723 वार्षिक और सेमेस्टर की परीक्षाएं होती हैं, जिसमें मुख्य, एटीकेटी और पूरक परीक्षाएं शामिल है। इनमें स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में 842 प्रकरण बने हैं। अकेले बीए के पहले, दूसरे और तीसरे वर्ष में 475 नकलची छात्र पकड़ाएं हैं। इन विद्यार्थियों के पास पूरी की पूरी किताबें और गाइड के पन्ने मिले हैं। साथ ही बच्चों ने छोटे से कागज पर पूरा का पूरा प्रश्न का जवाब लिखते हैं।

 

बीए में बढ़ें विद्यार्थी
कला संकाय में कुछ वर्षों से विद्यार्थियों की संख्या बढ़ गई है। खासकर एमए की बजाए बीए की पढ़ाई करने में रूचि दिखा रहे है, क्योंकि 2020 के बाद लगातार पीएससी करवाई जा रही है। इसके चलते विद्यार्थी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते हैं और बीए पाठ्यक्रम से स्नातक की डिग्री प्राप्त कर रहे हैं। पढ़ाई नहीं करने की वजह से इन्हें नकल का सहारा लेने पड़ा रहा है।

आमतौर पर स्नातक प्रथम वर्ष में 70-80 हजार विद्यार्थी प्रवेश लेते हैं। अकेले बीए में 42 हजार छात्र-छात्राएं पढ़ाई करने में लगे हैं। शेष बाकी पाठ्यक्रमों में प्रवेश पाते हैं। वैसे बीए के बाद बीकाम में नकलची छात्र है, जबकि बीएससी में सबसे कम विद्यार्थियों को नकल करने की जरूरत पड़ती है।
करते हैं परीक्षा तक निरस्त
विश्वविद्यालय की नकल समिति सारे प्रकरणों की गंभीरता से जांच करती है। उत्तरपुस्तिका और नकल सामग्री से जवाब का मिलान किया जाता है। उसके आधार पर नकलची विद्यार्थियों की सजा तय होती है। अगर परीक्षा से पहले नकल सामग्री दी जाती है तो समिति के सुझाव पर विश्वविद्यालय समझाइश देकर छोड़ देता है।

 

मगर बीच परीक्षा में नकल करते विद्यार्थी को पकड़ते हैं तो पेपर निरस्त किया जाता है। ऐसा अधिकांश प्रकरण में किया जाता है, जिसमें विद्यार्थियों को दोबारा उक्त विषय की परीक्षण देना होती है। कई बार गंभीर मामलों में समिति नकलची विद्यार्थी को एक व दो साल के लिए बाहर कर देते है।

 

 

 

 

 

 

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