मुरैना। मुरैना जिले में श्वानों का आतंक बढ़ता जा रहा है। जिला मुख्यालय और आसपास के गांवों में श्वानों के काटने की बढ़ती हुई घटनाओं का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि मंगलवार को जिला अस्पताल में श्वान के काटने से घायल हुए 92 लोग इलाज कराने पहुंचे। श्वान काटने के केस अस्पताल में इतने आ रहे हैं, कि अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शनों की कमी होने लगी है।
मंगलवार को जिला अस्पताल में श्वान काटने से घायल होकर पहुंचे 175 से ज्यादा लोगों को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगे हैं। इनमें 92 नए केस थे, जिन्हें सोमवार की शाम से मंगलवार की दोपहर तक अलग-अलग स्थानाें पर श्वानों ने अपना शिकार बनाया। इन 92 नए केस में से करीब 85 ने अस्पताल में ही सरकारी एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाया, जबकि कुछ ने बाहर मेडिकल से रेबीज इंजेक्शन खरीदकर उपचार करवाया।
देना पड़ा 3000 एंटी रेबीज का आर्डर
श्वान के काटने से घायल होकर पहुंचने वालाें की संख्या दिनों दिन बढ़ती जा रही है, दूसरी ओर जिला अस्पताल में एंटी रेबीज का स्टाक भी खत्म होता जा रहा है। लगातार बढ़ते केसों को देखकर जिला अस्पताल प्रबंधन ने ही 3000 एंटी रेबीज इंजेक्शन खरीदने का आर्डर दवा सप्लाई करने वाली कंपनी को दिया है।
बदलते मौसम में हिंसक हो जाते हैं श्वान
जानकारों के अनुसार, बदलते मौसम का प्रभाव जिस तरह इंसानों पर पड़ता है, ठीक वैसे ही श्वानाें पर भी मौसम का असर होता है। गर्मी के बाद बारिश और फिर सर्दी के मौसम में स्किन इंफेक्शन श्वानों को हिंसक बना देता है, इसीलिए बदलते हुए मौसम में श्वानों के हमले ज्यादा होते हैं।
श्वानों के वैक्सीनेशन व नसबंदी पर ध्यान नहीं
आवारा श्वानों की बढ़ती संख्या को काबू में करने और यह श्वान हिंसक होकर लोगों के लिए नुकसानदायक साबित न हो, इसका पूरा जिम्मा स्थानीय नगरीय निकाय का होता है। मुरैना शहर के लिए यह जिम्मा नगर निगम का है। पशु चिकित्सा विभाग के संचालक डा. वायपीएस भदौरिया ने बताया, कि ग्राम पंचायत, नगर परिषद, नगर पालिका और नगर निगम जैसी संस्था को ही अपने-अपने क्षेत्रों में श्वानों की बढ़ती आबादी को काबू करने के लिए नसबंदी करवाना पड़ता है। अगर नगर निगम चाहे तो मुरैना शहर में श्वानों की नसबंदी या फिर इनमें एंटी रैबीज वैक्सीन लगाने का काम पशु चिकित्सा विभाग कर सकता है, लेकिन इसके लिए नगर निगम को ही पूरा खर्चा उठाना पड़ेगा, क्योंकि पशु चिकित्सा विभाग को सरकार इस काम के लिए कोई बजट नहीं देती।
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