अनोखा तीर, सिराली। मानव जीवन को सफल बनाने के लिए भगवान सच्चिदानंद की कृपा प्राप्त करनी होती है, जो केवल अच्छे कर्मों से ही संभव है। कलयुग के समय में मनुष्य को अच्छे कर्म से आनंद की प्राप्ति होती है। यह उद्गार मथुरा वृंदावन की प्रसिद्ध कथावाचक कृष्णप्रिया जी ने ग्राम नहाली में भागवत कथा के दौरान व्यक्त किए। इससे पूर्व श्रीमद्भागवत महापुराण की विशाल शोभायात्रा कथावाचक कृष्ण प्रिया और ग्रामीण महिला पुरुष श्रद्धालुओं की उपस्थिति में कलश यात्रा के साथ निकाली गई। कथा शनिवार 25 नवंबर से 1 दिसंबर तक प्रतिदिन श्री भिलट देव गौशाला में आयोजन किया गया है। कथा के दौरान कृष्ण प्रिया ने सच्चिदानंद की व्याख्या करते हुए बताया कि सत्य अर्थात परमात्मा दूसरे रूप में कर्म भी सत्य है। कर्म के कारण हमारे जन्म भी अलग-अलग होते हैं। जंगली पशु हिंसा के द्वारा अपना उदर पोषण करते हैं। यही कार्य जब मनुष्य करता है तो वह पाप का भागी होता है, क्योंकि पशु प्रकृति के अनुसार चलते हैं, उनके पास निर्णय करने के लिए बुद्धि नहीं होती। वहीं 84 लाख योनियों में मनुष्य है जो प्रकृति से नहीं बुद्धि से चलता है। हमारे कर्मों का लेखा-जोखा सब सुरक्षित रहता है, वहीं हमारा प्रारब्ध बनता है। इसलिए मनुष्य को कर्म बड़े ध्यान से करना चाहिए। भगवान ने जीवन मृत्यु का पन्ना भर दिया। जन्म दे दिया, मृत्यु निश्चित कर दी, किंतु जीवन जीना आपके हाथ है। अगले पल क्या होगा किसी को पता नहीं सब ठाकुर जी और भाग्य के अधीन है। हमें वैसे ही प्राप्त होता है जैसे हमारा प्रारब्ध होता है। जैसा हमारा कर्म होगा वैसे ही हमारा भविष्य तय होता है। कर्म शाश्वत है कर्म बुद्धि पूर्वक किया जाए तो मनुष्य को सच्चिदानंद की प्राप्ति होती है, जिससे मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
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