अनोखा तीर, हरदा। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी पर विनायक उदयातिथि के अनुसार 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इसमें पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10.59 बजे से 12.40 तक रहेगा। वैदिक पंचांग गणना के अनुसार भगवान गणेश का जन्म मध्यान्ह में होने से अभिजीत मुहूर्त 11.37 से 12.25 तक रहेगा। वास्तु विशेषज्ञों के अनुसार, घर में भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र रखने के लिए पश्चिम, उत्तर और उत्तर-पूर्व दिशा सबसे अच्छी जगह है। याद रखें, सभी गणपति तस्वीरों का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव, जो गणेश के पिता हैं, जो यहीं रहते हैं।
ऐसी मूर्ति होती है बेहद शुभ
ज्योतिर्विदों के अनुसार घर में जब भी गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें तो इस बात का ध्यान रखें कि गणेश की सूंड बाएं हाथ की ओर हो। मान्यता है कि ऐसी मूर्ति से घर में सकारात्मकता बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। घर में सीधी सुंड वाली गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित कर सकते हैं। आदर्श रूप से ललितासन में गणेश जी की तस्वीर है। मान्यता है कि गणेश चतुर्थी पर बेल का फल बप्पा को अर्पित करना अच्छा माना जाता है। इस बैठे हुए गणेशजी को अर्पित करने से उनका विशेष वरदान प्राप्त होता है। यह शांति को दर्शाता है। गणेश स्थापन के समय पंच फल में अमरूद का भी है।
ये फल, फूल प्रिय हैं गणेशजी को
गणपति के पसंदीदा फूल मल्लिका, कनेर, कमल, चम्पा, मौलश्री (बकुल), गेंदा, गुलाब है। वहीं गणपति के पसंदीदा गुड़हल पत्ते हैं। भगवान भोलेनाथ शमी, दूर्वा, धतूरा, कनेर, केला, बेर, मदार और की तरह गणपतिजी को भी बेल का फल बहुत पसंद बिल्व पत्र हैं।
प्रत्यक्ष ब्रह्म हैं भगवान गणेश
गणेश जी प्रत्यक्ष ब्रह्म ही हैं, जो विराट समन्वय के देवता हैं। विद्वान पंडितों के अनुसार ब्रह्मांड में 3 लोकों की कल्पना की गई है। इसमें भूलोक के अधिपत्य त्रिलोक नाथ हैं। वेदों में जिस प्रकार एक ही ब्रह्म के ब्रह्मा, विष्णु और महेश ये तीनों रूप कहे गए हैं, उसी प्रकार गणेश को भी ब्रह्म का ही विग्रह कहा गया है। जिस प्रकार एक ब्रह्म के होते हुए भी ब्रह्मा, विष्णु, महेश की अपनी-अपनी भिन्न-भिन्न विशेषताएं हैं, उसी प्रकार गणेश की भी है। गणेशतापिन्युपनिषद के गणेशी, वै ब्रह्म और गणपत्यथर्वशीर्षोपनिषद त्वं प्रत्यक्षं ब्रह्मासि के अनुसार गणेश जी प्रत्यक्ष ब्रह्म ही हैं। जो विराट समन्वय के देवता है। इन्द्रियों के स्वामी होने से भी इन्हें गणेश कहा गया है। इनका सर हाथी का और वाहन मूषक है। मूषक का कर्म है चोरी करना, प्राणियों के भीतर छुपे हुए काम, क्रोध मद लोभादि पापकर्म की जो वृतियां हैं, गणेश जी उस पर सवार होकर इन वृतियों को दबाए रहते हैं। समृद्धि और ज्ञान के देवता, हाथी के सिर वाले देवता गणेश के जन्म का 10 दिवसीय त्योहार है।
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