पीडीएस का गेहूं मानने से इंकार, मामले की होगी पुन: जांच  

 

अनोखा तीर, सोहागपुर। एसडीएम के निर्देश पर तहसीलदार अलका एक्का ने अपने दल के साथ मुखबिर की सूचना पर एक गेहूं से भरे कंटेनर को नगर के पास स्थित रेलवे फाटक के समीप से पकड़ा था। जिसका क्र. एमएच 16 सीडी 3200 जो महाराष्ट्र पासिंग है। यह कंटेनर गेहूं लेकर सुहागपुर से पुणे जाने वाला था। जांच के दौरान मौके पर किसी भी प्रकार का कोई भी दस्तावेज नहीं पाया गया था। जिसके बाद तहसीलदार ने कंटेनर को सील कर थाने के सामने खड़ा कर दिया और अनुविभागीय अधिकारी अखिल राठौर को जानकारी दी। जिसके बाद एसडीएम ने 6 सदस्य जांच दल बनाया जिसमें कृषि विस्तार अधिकारी, वेयरहाउसिंग कारपोरेशन अधिकारी, खाद्य अधिकारी, नान के अधिकारी एफसीआई अधिकारी शामिल थे। जांच दल ने 3 दिन में रिपोर्ट सौंपी। तहसीलदार की अगुवाई में जांच समिति ने धागे को आधार बनाकर मीडिया को बताया कि यह पीडीएस का गेहूं नहीं था। तहसीलदार के अनुसार बोरी पर स्टेट सिविल सप्लाईज कॉरपोरेशन वर्ष 2022-23 लिखा था और बोरी की सिलाई लाल धागे से की गई थी। जबकि वर्ष 2022-23 में समर्थन मूल्य पर खरीदे हुए गेहूं की बोरियों की सिलाई नीले धागे से हुई थी। साथ ही तहसीलदार और जांच दल ने 27 बोरियों का निरीक्षण किया। जिसमें पाया कि बोरियों में रखा गया गेहूं नान एफएक्यू है। इस जांच रिपोर्ट के मिलने के बाद एसडीएम अखिल राठौर ने बताया कि वह इस जांच से संतुष्ट नहीं है अन्य एजेंसी से पुन: जांच या जिले की टीम से जांच कराई जाएगी। बड़ा सवाल यह उठता है की वर्ष 2023 और 24 में समर्थन मूल्य पर जो गेहूं खरीदा गया उसकी बोरियों की सिलाई लाल धागे से की गई थी और इस वर्ष वर्षा होने के कारण समर्थन मूल्य पर जो गेहूं खरीदा गया वह भी लगभग नान एफएक्यू है तो कंटेनर में रखा गया गेहूं इस वर्ष का भी हो सकता है या किसी बेराहाउस सहकारी समिति या पीडीएफ का भी हो सकता है। इस बिंदु पर अधिकारी जवाब नहीं दे पाए। बरहाल एसडीएम आगे जांच की बात कह रहे हैं।

शिवराज पटेल ने गेहूं पर किया दावा पेश

पकड़े गए कंटेनर और गेहूं के मामले में बड़ी ही दिलचस्प बात यह है कि 27 जून को कंटेनर पकड़ाया उसके बाद से ट्रक मालिक, ट्रक ड्राइवर लगभग 7 दिनों तक गेहूं बेचने वाले कंटेनर में गेहूं लोड कराने वाले सहित जिन ट्रैक्टरों से और 407 से गेहूं लाकर ट्रक में चढ़ाया गया था उनको ढूंढ रहे थे। फोन लगा रहे थे पर किसी ने उनकी मदद नहीं की। 7 दिन के पश्चात अचानक रीवा के रहने वाले शिवराज पटेल नामक व्यक्ति ने तहसीलदार को आवेदन देकर गेहूं पर अपना दावा जताया है। परंतु शिवराज पटेल के द्वारा आवेदन के साथ कोई भी दस्तावेज पेश नहीं किए गए हैं। वहीं जांच दल यह भी पता नहीं लगा पाया है कि यदि गेहूं शिवराज पटेल का है तो वह गेहूं कहां से लाया और जिन 350 बोरियों पर स्टेट सिविल सप्लाई कार्पोरेशन लिखा हुआ है। यह बोरी कहां की है किस समिति से खरीदी गई थी।

 इनका कहना है…

जांच के दौरान जांच दल को पीडीएस गेहूं होने के प्रमाण नहीं मिले हैं। सफेद सरकारी बोरियां कहां से आई, इसकी जांच होगी। प्रतिवेदन अनुभवी अधिकारी को दे दिया है।

अलका एक्का, तहसीलदार सोहागपुर

मैं इस जांच से संतुष्ट नहीं हूं। पुन: जांच होगी या जिले की टीम से जांच कराई जाएगी। अभी जांच जारी है, तब तक ट्रक पुलिस अभिरक्षा में रहेगा।

अखिल राठौर अनुविभागीय अधिकारी सोहागपुर

Views Today: 2

Total Views: 48

Leave a Reply

लेटेस्ट न्यूज़

MP Info लेटेस्ट न्यूज़

error: Content is protected !!