भूमिगत जलस्तर…. चिंता! भू-जलस्तर लगातार नीचे खिसक रहा  

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अनोखा तीर, हरदा। जल ही जीवन है एवं जल है तो कल है जैसे स्लोगन व पंक्तियां मानो जीवन का सार बता रही हो। वहीं जल की महत्वता एवं जल की उपलब्धता की दिशा में अपनी अपनी भूमिका की ओर इशारा कर रही हैं। जैसा की हम हमेशा से सुनने आ रहे हैं जल ही जीवन है। जल के बिना सुनहरे कल की कल्पना बेमानी है। जीवन के प्राय: सभी कार्यो में जल की आवश्यकता अपनी जगह तय है। ऐसी स्थिति में जन-जन को जागरूक, जल को बचाने के तमाम उपाय तथा जल संरक्षण की दिशा में सभी का योगदान अपेक्षित है। इसके दो मुख्य कारण हैं, पहला गर्मी के चलते जहां भू-जलस्तर नीचे खिसक रहा है, वहीं दूसरा कारण जल का लगातार दोहन भी चिंता का विषय बना हुआ है। जिसके चलते घरों के बोर दम तोड़ने लगे हैं तो कहीं-कहीं पानी गहराई में उतर गया है। यह भी सही है कि ये समस्या केवल मई और जून के महिने में गहराती है। इस बीच भू-जलस्तर नीचे खिसकने की वजह से कई जगहों पर पेयजल संकट गहरा जाता है। इस बारे में जानकार किसानों का कहना है कि मानसून सक्रिय होते ही जलस्तर धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, जो अक्टू्रबर-नवम्बर माह तक सामान्य स्थिति में पहुंच जाता है।

जल स्त्रोतों में कम हुआ पानी

इधर, मई माह में सभी जलस्त्रोतों में पानी कम हो जाने की बात सामने आई है। खेतों में बोरिंग का पानी आधा हो गया है, वहीं शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में लगे हैंडपंप झटके मारने लगे हैं। जिसके चलते 5-10 मिनिट में होने वाले काम में घंटो लग रहे हैं।

अब गहराई में मिल रहा पानी

भू-जलस्तर को लेकर किसानों ने कहा कि पहले ट्यूबवेल खनन दौरान 70 से 90 फीट पर पर्याप्त पानी मिल जाता था। लेकिन अब 140 फीट व उससे भी नीचे जाना पड़ता है। परिणाम स्वरूप अब 250 से 300 फीट बोरिंग आम बात है।

 

सिंचाईं के साधन-संसाधन में निरंतर वृद्धि

इधर, ग्रीष्मकालीन मूंग की तरफ किसानों का रूझान बढ़ने के साथ ही शासन-प्रशासन किसानों को सिंचाईं के लिये पानी मुहैया कराने में तत्पर रहा। लगातार तीन-चार साल से नहरों के माध्यम से कमांड एरिया में सिंचाई के लिये पानी उपलब्ध कराने का क्रम जारी है। इसी के साथ जिले में सरकार के सहयोग के अलावा सिंचाईं के मामले में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में क्षेत्र के किसान जरा पीछे नही रहे। बीतें दो-तीन साल की बात करें ट्यूबवेल खनन का कार्य बड़ी संख्या में हुआ। इसके अलावा सुव्यवस्थित सिंचाईं व्यवस्था को लेकर किसानों ने भूमिगत लाइन पर भी दांव खेला है, जो किसानों के लिये अब एक बेहतर कदम साबित हुआ है। इसकी मुख्य वजह उन्हें बगैर पाइप लाइन बिछाये खेत के सभी टुकड़ों में सिंचाईं का पुख्ता इंतजाम है। खास बात यह कि इससे जगह-जगह पानी व्यर्थ नही बहता है। इस बारे में किसानों ने कहा कि नहर के अलावा खेत में निजी जलस्त्रोत का खासा महत्व है। इससे समय पर बुआई तथा वैकल्पिक सिंचाईं व्यवस्था मजबूत रहती है। वहीं जो किसान कुंआ एवं ट्यूबवेल पर निर्भर हैं, उनके लिये भूमिगत पाइप लाइन का विस्तार बहुउपयोगी सिद्ध हुआ है। किसानों के मुताबिक ये कार्य पिछले दो-तीन साल में तेजी से हुआ है।

जलस्तर के लिये उपाय

– छोटे-छोटे बंधानों की जरूरत

– वॉटर हार्वेस्ंिटग सिस्टम अपनाएं

– पानी को व्यर्थ बहने से रोका जाएं

– जलस्त्रोतों का समुचित रखरखाव

– नदी-नालों के किनारे वृक्षारोपण

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