अनोखा तीर हरदा। कृषि विज्ञान केन्द्र हरदा के वैज्ञानिक जिले में निरंतर नैदानिक भ्रमण कर रहे हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केन्द्र हरदा ने बताया कि भ्रमण के दौरान कृछ समस्याएं कृषकों के प्रक्षेत्र पर देखी जा रही है। उन्होने कृषकों को सलाह दी है कि जिन किसान भाईयों की फसल 15-20 दिन की हो चुकी है और पौध विगलन अथवा जड़ सड़न रोग के लक्षण दिखाई दे रहे हों, वह कार्बेन्डाजिम $ मेन्कोजेब 250ग्राम प्रति एकड़ अथवा टेबूकोनाजॉल, सल्फर 400 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें। यदि फसल में इल्लियों का प्रकोप दिखाई दे रहा हो तो शुरूआती अवस्था में क्वीनालफॉस 500 मिली लीटर प्रति एकड़ अथवा इमामेक्टिन 5 प्रतिशत एसजी 80 ग्राम प्रति एकड़ अथवा इंडोक्साकार्ब 15.8 ईसी 130 मिली लीटर प्रति एकड़ अथवा यदि रस चूसक कीट एवं इल्लियों का एक साथ प्रकोप दिखाई दे रहा हो तो बीटासाइफ्लोथीन, इमाडाक्लोप्रिड का 140 मिली लीटर प्रति एकड की दर से छिड़काव करें। टी आकार की खूंटी 25 से 30 प्रति एकड़ फली आने से पूर्व तक लगा कर रखें, जिस पर बैठकर पक्षी इल्लियों को खाते हैं। छिड़काव प्रात: 10 से 11 बजे के पूर्व एवं शाम 4 बजे के उपरांत करें। छिड़काव के लिए हाथ के पंप से 200 लीटर एवं पावर पंप से 125 लीटर पानी प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें। किसी भी अन्य रसायनों को अपने स्तर पर मिलाकर छिड़काव न करें। किसान भाई कार्यालयीन समय में अपनी प्रभावित फसल का जड़ एवं मिटटी सहित नमूना लेकर कृषि विज्ञान केन्द्र कोलीपुरा टप्पर आकर इस संबंध में आवश्यक जानकारी प्राप्त कर सकते है।
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