मौसम ने बदला मिजाज… कहीं खुशी तो कहीं चिंता के बादल

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क्षेत्र में जहां रबी फसलों का कटाई कार्य पूर्ण हो गया है। परंतु अब भी करीब 5 प्रतिशत रकबे में फसल खड़ी होने की बात सामने आई है। वहीं इतने ही रकबे की उपज खेत व खलिहानों में ढ़की रखी है। वजह, समर्थन मूल्य पर प्रारंभ खरीदी में उसका तौल कराया जा सके। इस बीच शुक्रवार को क्षेत्र में हुई बूंदाबांदी के बाद भागम-भाग देखने को मिली है। वहीं दूसरी ओर करीब एक सप्ताह पहले बोई गई मूंग की फसल के लिये इसे अमृत बताया जा रहा है

खेतों में लहलहा उठी मूंग

अनोखा तीर, हरदा। क्षेत्र में रबी फसलों की कटाई लगभग पूर्ण हो चुकी है। वहीं दूसरी ओर शासकीय खरीदी भी प्रारंभ हो चुकी है। इस बीच शुक्रवार को क्षेत्र में हल्की बूंदाबांदी ने किसानों को चिंता में डाल दिया। इस दौरान कुछ किसान अपनी फसल को सुरक्षित करने का जतन कर रहे थे तो कुछ किसान आसमान में टकटकी लगाये बैठे थे। क्योंकि, ऐसे वक्त पर बूंदाबांदी कहीं खुशी तो कहीं चिंता के बादल समान थे। खेत-खलिहानों में रखी फसल की सुरक्षा का ध्यान रखना जरूरी है। इस संबंध में किसानों ने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो गई है। जिसके चलते खेत में ही गेहूॅ-चना का ढ़ेर लगा है। बस मैसेज का इंतजार है। अगर यही उपज घर अथवा किसी अन्य सुरक्षित जगह ले जाते तो परिवहन पर अतिरिक्त खर्च करना पड़ता। कई किसानों के खेत व घर में अधिक दूरी होने के कारण उपज आसपास रखना मजबूरी है। यहां बताना होगा कि क्षेत्र में करीब 95 प्रतिशत कटाई कार्य हो चुका है। नहर के टेल एरिया समेत उन खेतों में गेहूॅ खड़ा है, जिनकी बोवनी लेट थी या फिर अधिक दिनों की वेरायटी बोई थी। हालांकि नहर छूटते ही उन खेतों में भी धड़ाधड़ कटाई चल रही है। कटाई की यही रफ्तार रही तथा मौसम ने साथ दिया तो अगले एक-दो दिन में मैदान साफ हो जाएगा। इन सबके बीच एक कारण यह भी कि मूंग बुआई का समय लगभग खत्म होता जा रहा है। नहर से जुड़े किसानों के मुताबिक 5 से 10 अप्रैल तक बुआई समेत उसमें पहली सिंचाईं का लक्ष्य बनाया है। उसी रोडमेप के आधार पर कटाई के बाद भूसा फिर खेत की जुताई व बुआई की तैयारी है।

मूंग के लिये मानो अमृत बरसा  

किसान अजय शर्मा ने बताया कि करीब 20 दिन पहले बोई गई मूंग के लिये यह पानी अमृत समान है, जो पत्ती से होकर सीधे जड़ तक पहुंचा है। जिसका मूंग के पौधे को भरपूर राहत रहेगी। हालांकि दो-चार दिन पहले ही उस खेत में पहला पानी दिया था। उन्होंनें बताया कि शुक्रवार को फसल की रंगत दबली-बदली नजर आई। किसान नरेन्द्र पटेल के मुताबिक 15 दिन की फसल में पानी लगना था। परंतु बूंदाबांदी के चलते मौसम में ठंडक की वजह से फसल को दो-चार दिन की राहत मिली है।

चहुंओर हरियाली ही हरियाली  

जिले में तीसरी व अतिरिक्त फसल के रूप में ग्रीष्मकालीन मूंग की तरफ किसानों का रूझान साल दर साल बढ़ रहा है। यहां नहर का कमांड एरिया तय कर पानी छोड़ा जा चुका है। वहीं निजी जल स्त्रोत पर निर्भर किसानों ने पहले ही बाजी मार दी। इसमें नीमगांव-सोनतलाई बेल्ट अव्वल है। उस क्षेत्र में करीब 10 मार्च के आसपास मूंग का बुआई कार्य प्रारंभ हो गया था। जहां दूसरी व तीसरी सिंचाईं लगभग पूर्ण हो चुकी है। वहीं मई के दूसरे व तीसरे सप्ताह में मूंग का उत्पादन शुरू हो जाएगा।

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