सशिमं कल्याणगंज में समर्थ शिशु रामकथा 22 अप्रैल से  

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खण्डवा। मानव को महामानव बनाने का काम शिक्षा करती है। मनुष्य के पूर्ण विकास की जिम्मेदारी शिक्षा की है, परंतु यह काम केवल पाठशाला में संभव नहीं है। शिक्षा की अवधारणा बालक के जन्म से भी पहले आरंभ हो जाती है। संतान के बीजारोपण और गर्भकाल में उसके उन्नयन के तत्व छिपे हैं। अत: विद्यालय का कार्य क्षेत्र केवल विद्यार्थी ना होकर उसे जन्म देने वाली माता और उनका परिवार भी है। एक श्रेष्ठ संतान की उत्पत्ति के लिए दांपत्य जीवन कैसा हो, गर्भधारण कैसा हो गर्भवती माता का आचार-विचार, आहार-विहार कैसा हो उसके परिवार का वातावरण कैसा हो। इन विषयों पर समाज का प्रबोधन आवश्यक है।

उक्त विचारों को अंतरराष्ट्रीय कथा वाचक पंडित श्याम स्वरूप मनावत द्वारा समर्थ शिशु रामकथा के माध्यम से समाज तक पहुँचाया जाएगा। 22 से 26 अप्रैल तक समर्थ शिशु रामकथा का सरस्वती शिशु मंदिर कल्याण गंज के प्रांगण में आयोजन होगा। इस निमित्त बैठक का आयोजन किया गया। प्रचार प्रमुख आशीष माहेश्वरी ने बताया कि इस कथा का संयोजक दिलीप सपकाले एवं सह संयोजक महेंद्र वर्मा को बनाया गया। रामकथा समिति का अध्यक्ष राजेंद्र अग्रवाल, उपाध्यक्ष योगिता महेश्वरी एवं भावना बिल्लोरे, सचिव धर्मेंद्र दांगोरे, सह सचिव विमल खंडेलवाल, त्रिलोक पाटिल, कोषाध्यक्ष रविंद्र बंसल एवं सह प्रचार प्रमुख संजय पालीवाल को बनाया गया। बैठक में मालवा प्रांत के सह प्रमुख त्रिलोक तिरोले, खण्डवा विभाग समन्वयक सत्यनारायण लौवंशी, ब्रह्मानंद पाराशर, ओमप्रकाश दशोरे, रविंद्र चांडक, शोभा तोमर, प्रदीप कानूगो, चेतना शर्मा, जय भगवती भावसार, देवेंद्र जोशी, राधेश्याम चौहान, सरोज बाथम, प्रतिमा अरोरा, गायत्री चौहान सहित बड़ी संख्या में उपस्थिति रही।

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