अब रहम करो इंद्रदेव…. बर्बादी की कगार पर पहुंची फसल

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नदी-नाले उफान पर, बारिश का रेड अलर्ट, बाढ़ प्रभावितों का विस्थापन यही सब कुछ पिछले २० दिनों से हरदा जिले में चल रहा है। लगातार हो रही बारिश से जहां पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है, वहीं दूसरी ओर कृषि प्रधान जिले में बोई जाने वाली पीला सोना सोयबीन भी अब अतिवृष्टि के कारण गलकर सूखने लगी है। नदी-नाले के किनारे के खेतों की तो यह स्थिति है कि वहां पर सोयाबीन की फसल को उखाडक़र बाढ़ का पानी अपने साथ ले गया है। यदि शीघ्र ही मौसम नहीं खुला तो किसानों की खरीफ की फसल पूरी तरह नष्ट हो जाएगी।
अनोखा तीर, हरदा। जिले में जब मानसून ने आमद दी थी तो नियमित अंतराल और जितना पानी किसानों को चाहिए था उतना ही पानी इंद्रदेव ने बरसाया था। जिसके कारण बोवनी के 15 दिन तक फसल ने खूब बढ़वार भी की और ऐसी खिलखिलाने लगी थी कि इस वर्ष किसानों को लगने लगा था कि वर्षों की कसर इस बार खरीफ की फसल निकाल देगी। लेकिन बीते 20 दिनों से हो रही लगातार बरसात के कारण सोयाबीन फसल और अन्य फसलों की जड़ें अब सडऩे लगी है। किसी भी फसल को पानी के साथ ही सूर्यदेव के तपन की भी जरुरत होती है। बारिश तो भरपूर हो रही है, लेकिन सूर्यदेव के दर्शन दुर्लभ हो गए है। सबसे अधिक खराब स्थिति नदी एवं नाले के किनारे स्थित खेतों की है। यहां पर विगत 20 दिनों में तीन बार बाढ़ ने रौद्र रुप दिखाया है। जिसके कारण उनके किनारे के खेतों की मिट्टी तक बाढ़ ने अपने साथ ले गई है। लगातार हो रही बारिश के कारण किसान अपने खेतों में कीटनाशक और खरपतवार नाशकों का भी छिडक़ाव नहीं कर पा रहे है। जिसके चलते फसलों में बीमारियों और खरपतवारों का प्रकोप भी बढ़ गया है। जिले में लगभग 1 लाख 80 हजार हेक्टेयर में सोयाबीन की फसल बोई गई है। यदि शीघ्र ही बारिश बंद नहीं होती है तो पूरी फसल नष्ट हो जाएगी।
जुलाई में ही हो गया बारिश का कोटा पूरा
जिले की सामान्यत: बारिश 1248 मि.मी. है। 15 जून मानसून की आमद के बाद एक माह में ही बारिश का यह पूरा वर्ष भर का कोटा पूरा होने की कगार पर पहुंच गया है। सबसे अधिक बारिश टिमरनी तहसील में हुई है। यहां अब तक 992 मि.मी. बारिश हो चुकी है। वहीं हरदा में 743 मि.मी. और खिरकिया में 502 मि.मी. बारिश रिकार्ड की जा चुकी है। जबकि गत वर्ष आज दिनांक तक मात्र 358 मि.मी. बारिश ही दर्ज की गई थी। जिले की औसत वर्षा के बारे में बात करें तो अब तक 746 मि.मी. बारिश दर्ज की जा चुकी है, जो कि पूरे प्रदेश में सबसे अधिक है। अतिवृष्टि के कारण जहां फसलें तो नष्ट हो ही रही है, वहीं पूरा जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है। रोजाना फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले छोटे व्यवसायी बारिश की मार से सबसे अधिक परेशान है। आगामी दिनों में रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है। कोरोना काल के बाद व्यापारियों को उम्मीद थी कि इस वर्ष रक्षाबंधन पर जमकर व्यापार होगा, लेकिन लगातार हो रही इस बारिश ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया।

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